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महाराष्ट्र : लाल केला की यूरोप और खाड़ी देशों में बढ़ी मांग

लाल भिंडी की लोकप्रियता के बीच जलगांव का लाल केला भी चर्चा है। स्वास्थ्य के अनुकूल कई खूबियों से लैस लाल केले की देश-विदेश में मांग है। एनर्जी बूस्टर माने जाने वाले इस केले की यूरोपीय और खाड़ी देशों में अच्छी मांग है। अच्छा दाम मिलने से लाल केले की खेती से किसानों की आय बढ़ रही है।

उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र का जलगांव केले की खेती के लिए मशहूर है। केले की खेती के लिए जलगांव को ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) मिल चुका है। जलगांव (भुसावल) से लेकर मध्य प्रदेश के बुरहानपुर तक पीले-हरे केले की खेती खूब होती है। देश के अन्य हिस्सों में भी लाल केले की खेती को प्रोत्साहन दिया जा रहा। केला अनुसंधान केंद्र त्रिची के वैज्ञानिक इस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। केंद्र के वैज्ञानिकों का कहना है कि लाल केले की नस्ल शुष्क जलवायु के अनुकूल है। इसलिए इसकी फसल देश के किसी भी हिस्से में हासिल की जा सकती है।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार पिछले साल (2020-21) में भारत से 619 करोड़ रुपए मूल्य का केला निर्यात किया गया। इसमें लाल केले की मात्रा ज्यादा नहीं है। क्योंकि इसकी खेती सीमित दायरे में होती है। चूंकि अन्य देशों से मांग बढ़ रही है। इसलिए किसान इसकी खेती के प्रति आकर्षित हो रहे हैं।

दुनिया में सबसे ज्यादा केले का उत्पादन भारत में होता है। उपज के मामले में महाराष्ट्र तीसरे नंबर पर है। लेकिन, निर्यात के मामले में यह नंबर एक है। दुनिया भर में केले की 300 किस्मे हैं। इनमें से 15 से 20 तरह के केले की खेती ज्यादा होती है। लाल केले के पौधे की ऊंचाई 4 से 5 मीटर होती है। एक घार (गुच्छे) में 80 से 100 तक फल लगते हैं।

ऑस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, मेक्सिको और अमरीका में भी इसकी खेती होती है। स्वाद में मीठे लाल केले में कई पोषक तत्व होते हैं। कैलरी कम होती है, लिहाजा वजन बढऩे की चिंता नहीं। विटामिन-सी से भरपूर लाल केले में सामान्य से ज्यादा बीटा केरोटीन होता है, जो रक्त वाहनियों में खून का थक्का नहीं जमने देता। यह कैंसर-हार्ट से जुड़ी बीमारी से बचाव में कारगर है। आंख और त्वचा के लिए भी लाभदायक है। टाइप-2 डायबिटीज का खतरा कम होता है।

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