ग्रामीण इलाकों में इलाज व दवाओं की किल्लत हमेशा रहती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र के बावजूद। दवाएं खरीदने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों को सबसे लोगों को को शहर जाना पड़ता है । अब केंद्र सरकार ने 1.24 लाख से अधिक ग्राम ऐसी पंचायतों की पहचान की है, जिसमें या तो कोई पैक्स या डेयरी सहकारी या दोनों नहीं है। सरकार ने 2000 PACS को प्रधान मंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया है।
मौजूदा समय में देश में 2,69,364 ग्राम पंचायतों में से 96,405 पंचायतें ऐसी हैं, जहां न तो कोई पैक्स हैं और न ही कोई डेयरी सहकारी समितियां हैं। अब सहकारिता मंत्रालय ने एक डेटाबेस बनाने का प्रयास किया है।
केंद्र ने पहले से ही जमीनी सहकारी समितियों के लिए कई व्यावसायिक गतिविधियों के लिए प्रावधान किए हैं। वहीं उन्हें अपनाने के अनुरोध के साथ राज्यों को आदर्श उपनियमों को परियालित किया है।
फैसला देश के गांवों के लिए बहुत ही अहम है। सरकार के इस फैसले के बाद अब गांवोंं में ही सस्ती दवाएं मिल सकेंगी। अभी ग्रामीण क्षेत्रों में न तो गुणवत्ता वाली दवाएं मिलती हैं और न इन दवाओं के दामों में एकरूपता होती है।
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