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झारखंड : वनोपज पर किसानों और वनवासियों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद होगी

झारखंड में हेमंत सोरेन-सरकार किसानों और वनवासियों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही वनोपज खरीदेगी। श्री सोरेन ने कहा -“उनकी सरकार वन उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय करेगी और इसके लिए बाजार सुनिश्चित करेगी। जाहिर सी बात है वनोपज की एमएसपी तय हो जाने का फायदा यहां के उन लाखों लोगों को मिलेगा जो अपनी अजीविका के लिए वनों पर निर्भर है”।

उन्होंने कहा कि झारखंड कृषि और वन उपज के मामले में एक समृद्ध राज्य है, इसलिए इसका फायदा यहां के लोगों को मिलना चाहिए। उन्होंने कहा की वनों पर निर्भर रहने वाले लोगों की बेहतर आजीविका के लिए राज्य सरकार वन उपज के लिए एमएसपी तय करेगी ताकि लोगों को अपनी मेहनत की उचित कीमत मिल सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज हो रहे जलवायु परिवर्तन से हमारी चुनौतियां भी बढ़ रही है। इससे सबसे ज्यादा किसान प्रभावित हो रहे हैं। मौसम में आ रहे इस बदलाव से कहीं बाढ़ आ रहा है तो कहीं सुखाड़ की स्थिति पैदा हो रही है। इस वजह से फसल उत्पादन प्रभावित हो रही है। अगर हम अभी सचेत नहीं हुए तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने की लिए तैयार रहना होगा। ऐसे में वैकल्पिक खेती और इससे जुड़े अन्य कार्यों की दिशा में आगे आगे आना होगा। इसके लिए सरकार ने कई योजनाएं भी शुरू की है। आप इस योजनाओं से जुड़े और खुद को जलवायु परिवर्तन के बीच खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाएं।

झारखंड की सबसे बड़ी विडंबना यही है कि जहां सबसे अधिक घने वन हैं, वहीं सबसे ज्यादा गरीबी भी है। वन क्षेत्र और इसके करीब रहने वाले जनजातीय समुदाय मुश्किल से पेट भर पाता है। राज्य की वन उपज से लगभग 15 प्रतिशत आबादी का भरण-पोषण होता है। राज्य के जंगलों में पाए जाने वाले केंदु पत्ता, तैलीय बीज, जंगली साग, गोंद, घास एवं जलावन का संग्रहण ही इनकी आय का जरिया है। बाजार न होने से इन्हें अमूल्य वन संपदा का उचित मूल्य नहीं मिल पाता।

झारखंड के किसानों के लिए आजीविका के वैकल्पिक स्त्रोत तलाशे जा रहे हैं। इसके तहत अब वन संपदा की तरफ ध्यान दिया जा रहा है. क्योंकि झारखंड में यह पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। इसी के तहत सिद्धो कान्हो कृषि और वन उपज सहकारी संघ लिमिटेड ने राज्य के गैर लकड़ी वन उत्पादों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। इस योजना के अनुसार सिद्धो कान्हो कृषि और वन उपज सहकारी संघ लिमिटेड किसानों को नॉन टिंबर वन उत्पाद के वास्तविक मूल्य प्राप्त करने के लिए संग्रह, प्रसंस्करण, भंडारण और विपणन के लिए एक बेहतर मंच प्रदान करेगा।

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