बिहार के गया, औरंगाबाद, नवादा और नालंदा जिले में सबसे अधिक मगही पान की खेती की जाती है। राज्य सरकार ने राज्य में मगही पान के क्षेत्रफल को बढ़ाने के लिए बड़ा फैसला लिया है। इससे मगही पान से जुड़े किसानों को काफी फायदा होगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने विशेष उद्यानिकी फसल योजना में मगही पान को भी शामिल कर लिया है। इस योजना के तहत मगही पान की खेती करने वाले किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा।
नवादा, औरंगाबाद, गया और नालंदा जिले में सबसे अधिक मगही पान की खेती होती है। अकेले गया जिले में 200 किसान इसकी खेती करते हैं। गुरारू गुरुआ, आमस और वजीरगंज प्रखंड में मगही पान की खेती करने वाले किसानों की संख्या सबसे अधिक है।
गया जिले में मगही पान के रकबे में गिरावट आई है। पहले यहां पर 25 से 30 एकड़ में किसान मगही पान की खेती करते थे। अब इसका रकबा घटकर 15 एकड़ पर पहुंच गया है। इसी तरह पहले करीब 700 किसान मगही पान की खेती से जुड़े हुए थे, जिसकी संख्या घटकर अब 200 पर पहुंच गई है।
राज्य सरकार ने विशेष उद्यानिकी फसल योजना के तहत 300 वर्गमीटर में मगही पान की खेती पर इकाई लागत 70500 रुपये निर्धारित की है। अगर किसान भाई 300 वर्गमीटर में मगही पान की खेती करते हैं, तो उन्हें 70500 रुपये पर 50 फीसदी अनुदान मिलेगा। इसका मतलब यह है कि विशेष उद्यानिकी फसल योजना के तहत मगही पान की खेती करने वाले किसानों को फ्री में 35250 रुपये मिलेंगे।
खास बात यह है कि बिहार सरकार की यह योजना नवादा, गया, नालंदा और औरंगाबाद के किसानों के लिए है। सिर्फ इन्ही जिलों के किसान ही सब्सिडी के लिए अप्लाई कर सकते हैं। अगर मगही पान की खेती करने वाले किसान भाई सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, तो आधिकारिक वेबसाइड पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।