पंजाब के खेत, रासायनिक खाद के जरूरत से ज़्यादा से बंजर ज़मीन में तब्दील हो रहे हैं | ज़मीन को ज़्यादा पानी की जरूरत है| भू-जल लगातार नीचे हो रहा है| ज़मीन मे नमक की मात्रा लगातार बढ़ रही है| ऐसा ज़्यादा चावल व गेहूं बोने की वजह से भी हुआ है| एक किलो बासमती चावल तैयार करने में किसान को तीन हज़ार लीटर पानी की जरूरत होती है|
खेती में सिंचाई का पानी कम खर्च हो, इसके लिए सरकार मोटे अनाज की बिजाई पर ज़ोर दे रही है| दूसरी तरफ ज़मीन की तंदुरुस्ती बनाये रखने के लिए सरकार मिट्टी की लवणता कम करने के प्रयास कर रही है| इसके लिए खेतों को तालाबों में तब्दील कर झींगा पालन को बढ़ावा देना भं है|
पंजाब सरकार ने अगले पांच वर्षों में लाभदायक कृषि-संबंधित व्यवसाय, झींगा पालन के तहत क्षेत्र को 5,000 एकड़ तक बढ़ाने का फैसला किया है।
“किसानों को झींगा की खेती अपनाकर प्रति एकड़ तीन लाख रुपये की आय प्राप्त हो रही है, जो कि खारी प्रभावित जल-जमाव वाली भूमि पर की जा रही है। यह किसानों की आय के पूरक के लिए एक वरदान साबित हुआ है, ”मंगलवार को राज्य के मत्स्य मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर ने कहा।
उन्होंने कहा: “मत्स्य विभाग के कड़े प्रयासों से, पिछले वर्ष के दौरान 1200 एकड़ क्षेत्र को झींगा पालन के तहत लाया गया है … सरकार ने अगले पांच वर्षों के दौरान 5,000 एकड़ में झींगा पालन का विस्तार करने की योजना बनाई है ताकि झींगा पालन में वृद्धि हो सके।” किसानों की आय। ”
राज्य सरकार सरकारी मछली बीज फार्मों से किसानों को अच्छी गुणवत्ता वाले मत्स्य बीज रियायती दरों पर उपलब्ध करा रही है। जिला फाजिल्का के ग्राम किल्लियांवाली में नये सरकारी मत्स्य बीज फार्म का निर्माण कार्य चल रहा है, जिसे शीघ्र ही पूर्ण कर लोगों को समर्पित किया जायेगा|
मंत्री ने किसानों से अपनी आय के स्रोतों को और बढ़ाने के लिए जलीय कृषि को अपनाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, “सरकार एक्वा-कल्चर अपनाने के लिए 40 से 60 प्रतिशत अनुदान प्रदान कर रही है,” उन्होंने कहा कि सामान्य वर्ग के लिए 40 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जा रहा है और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / महिलाओं और उनके स्वयं सहायता समूहों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है।