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हरियाणा : 25 हज़ार एकड़ में भरा बरसात का पानी, फसलें चौपट

सूबे के कछछ्रत्तड जिला के कई इलाकों में हुई अधिक बरसात का खामियाजा अब किसान भुगत रहे हैं। किसानों की फसल जलभराव के चलते नष्ट होनी शुरू हो गई है। 30 दिनों से फसलों में पानी भरा पड़ा है। इसको लेकर जिला प्रशासन की ओर से रोजाना तैयार करवाई जा रहीहै|

सर्वे रिपोर्ट में 30 गांव की करीब 25 हजार एकड़ भूमि में जलभराव है। जहां किसानों ने कॉटन, बाजरा, धान और ग्वार की फसल बोई हुई थी। हालांकि यह प्राथमिक सर्वे रिपोर्ट है, जो रोजाना तैयार करके चंडीगढ भेजी जाती है। किसानों के मुताबकि हकीकत में खराब हुई फसल का रकबा तीन गुणा अधिक है। जहां बरसात के पानी भरने से फसल चौपट हो गई है। वहीं सरकार की ओर से अभी तक स्पेशल गिरदावरी के कोई आदेश जिला प्रशासन के पास नहीं पहुंचे हैं।

इलाके क किसानों में चिंता के साथ साथ रोष भी है। किसानों का कहना है कि चौपट हुई फसल का अगर उन्हें क्लेम नहीं मिला तो उनको भारी संकट का सामना करना पड़ेगा। जलभराव इतना अधिक है कि अगली फसल बोने में भी समस्या आएगी। जिला राजस्व विभाग की सर्वे रिपोर्ट की मानें तो सबसे अधिक चौपटा तहसील के किसानों को नुकसान हुआ है। यहां करीब डेढ़ दर्जन गांव की फसलें पूरी तरीके से चौपट हो रही है।

प्रशासन का कहना है कि वास्तविक आंकड़ा तो तब सामने आएगा जब स्पेशल गिरदावरी होगी। यह रिपोर्ट उन एरिया की है। जहां अधिक जलभराव हो गया था। जहां अभी तक पानी भरा पड़ा है और निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं।
सिरसा जिले के गांव गुडियाखेड़ा के पास हिसार घग्गर ड्रेन देर रात टूट गई| ड्रेन टूटने से ग्रामीणों की सैंकड़ों एकड़ भूमि जलमग्न हो गई है| प्रशासन को ड्रेन के टूटने की सूचना मिलते ही प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया| सिरसा में पिछले कई दिनों से लगातार तेज बारिश हो रही थी. जिस वजह से हिसार घग्गर ड्रेन ओवरफ्लो हो गया और देर रात को ओवरफ्लो होने की वजह से टूट गया है|

ड्रेन टूटने से किसानों के अरमान पर पानी फिर गया| क्योंकि किसानों की खेतों में नरमें, कपास, बाजरा, ग्वार और चने की फसल खड़ी थी| लेकिन सेमनाला टूटने की वजह से ग्रामीणों की सैंकड़ों एकड़ फसल जलमग्न हो गई है| किसानों में प्रशासन के खिलाफ रोष देखने को देखने को मिल रहा था| किसानों का आरोप है कि प्रशासन ने समय रहते ड्रेन की सफाई नहीं करवाई, जिसके चलते ड्रेन ओवरफ्लो होने के कारण पानी उनके गांव तक पहुंच गया है|

बता दें कि मानसून की बारिश खेत खलिहानों से लेकर रिहायशी इलाकों तक आफत बन गई है| खेत तालाबों में तब्दील हो गए हैं, सड़कें तथा गलियां बरसाती नाले बने हुए हैं
तालाबों का ओवरफ्लो पानी घरों में घुस रहा है| बीते दिवस हुई बारिश ने परेशानी और बढ़ा दी है| बीती रात गांव गुड़िया खेड़ा में हिसार-घग्गर ड्रेन टूटने से सैंकड़ों एकड़ बीजी गई फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो गई| जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है|

रातभर ग्रामीण मौके पर खड़े रहे,लेकिन वे अपनी फसलों को बचाने के लिए कुछ नहीं कर सके| खेतों में 6 से 7 फुट पानी जमा हुआ पड़ा है. नहरी विभाग के एसई आत्मा राम भांभू मौके पर पहुंचे| इसके बाद कर्मचारियों ने दरार को भरने का काम शुरू कर दिया| ग्रामीणों का कहना है कि चाहे दरार को भर दिया जाए, लेकिन ये माइनर फिर टूटेगी, क्योंकि गुडिय़ाखेड़ा के पास इस नहर की एक साल से सफाई नहीं हुई है. अगर ये थोड़ी पीछे टूट जाएगी तो गांव डूब जाएगा| ग्रामीणों का कहना है कि नरमा-कपास की सारी फसल चौपट हो गई है. इस नुकसान की भरपाई सरकार मुआवजा जारी करके करे|

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