अपने मीठे अमरूदों की वजह से देश में पहचान बनाने वाले सवाई माधोपुर के बागवानों का अमरूद की उपज को लेकर लगाव ख़त्म होता जा रहा है| यहाँ के बागवान अब आंवला के बोने में दिलचस्पी ले रहे हैं | आंवला की उपज व मुनाफा , अमरूद से कहीं अधिक है|
इस वर्ष किसानों ने करीब 400 हैक्टेयर में आंवले के बगीचे लगाए है। पांच साल पहले तक जिले में 100 से 150 टन आंवले का उत्पादन होता था, जो अब बढ़कर 7200 टन पर पहुंच गया है। यही कारण है कि एक साल में ही आंवले के बगीचों का रकबा 300 से बढ़कर 700 हैक्टेयर पर पहुंच गया।
राज्य के उद्यान विभाग के अनुसार इस वर्ष जिले में करीब 400 हैक्टेयर में आंवले के नए बगीचे लगाए गए है। खास बात यह है कि 400 हैक्टेयर में लगे नए बगीचों से 200 से 250 हैक्टेयर में पहले अमरूद के बगीचे लगे हुए थे, जिन्हें किसानों ने नष्ट कर आंवला लगा दिया। जिले में पांच साल में आंवले का उत्पादन 150 से 7200 टन पर पहुंच गया है।
इस साल एक माह में 1800 टन आंवले की मंडी में सप्लाई हो चुकी है। गत वर्ष फरवरी तक यह आंकडा 7200 टन पर पहुंच गया था।
आंवला थोक बाज़ार में
15 से 20 रुपए किलो मंडी में आसानी से बिक जाता है|
अकेले सवाई माधोपुर जिले में डेढ से दो करोड़ रुपए के आंवले का उत्पादन होता है। आने वाले दिनों में यह आंकडा और बढ़ जाएगा।
जिले में करीब 15 हजार हैक्टेयर में फैले अमरूदों के बगीचे अब सिमटने लगे है। किसान अमरूदों के बगीचाें पर कुल्हाड़ी व जेसीबी मशीन चलाकर आंवले के पौधे लगा रहे हैं। हालांिक कई किसान अन्य फसलें भी कर रहे हैं। उद्याग विभाग के अनुसार इस साल जिले में करीब 400 हैक्टेयर में आंवले के बगीचे लगाए गए है। ऐसे में अब आंवले का रकबा बढ़कर 600 से 700 हैक्टेयर तक पहुंच गया है।
अमरूदों से इसलिए मोह भंग हुआ है क्योंकि अमरूद 6 से 8 रु. प्रति किलो में नहीं बिक रहा| इसकी फसल के लिए मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है| पांच वर्ष पहले तक 30 से 40 रुपए प्रति किलो बिकने वाला अमरूद मंडी में 6 से 8 रुपए प्रति किलो भी नहीं बिक रहा है। जबकि आंवला 20 से 25 रुपए किलो आसानी से बिक जाता है। एक पेड़ पर अमरूद 100 से 150 किलो होता है वहीं आंवला एक पेड़ पर 3 से 4 क्विंटल होता है। इसके अलावा अमरूद में मेहनत ज्यादा है|