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पंजाब : नई कृषि नीति के तहत अबकी कम होगा गेहूँ- धान का रकबा

पंजाब में अंधाधुंध कीटनाशकों से बढ़ रहे भूजल संकट को देखते हुए नई कृषि नीति के तहत 6 प्रमुख फसलों में बदलाव का मास्टर प्लान बना है। धान व गेहूं के रकबे में कमी जबकि कपास( नरमा), मूंग, प्याज व मक्का ( मक्की) का बुवाई रकबा बढ़ाया जाएगा।

नई कृषि नीति में 6 प्रमुख फसलों में बड़े स्तर पर बदलाव लाने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। नई नीति के तहत धान व गेहूं का 15 लाख हेक्टेयर रकबा घटेगा, जबकि कपास में 2 लाख हेक्टेयर, मूंगी में 12 हजार हेक्टेयर और प्याज में 13 हजार हेक्टेयर रकबा बढ़ाने की योजना है।

इस क्रम में, दलहन और तिलहन को पूर्ण रूप से जैविक खादों से तैयार की जाएगी। यही नहीं, फसलों के बीज, मंडी की दशा, कीटनाशक व बिजाई के समय में भी तब्दीली की जाएगी।

पंजाब के कृषि निदेशक गुरविन्दर सिंह के अनुसार
धान की फसल पर लाखों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। हर साल कई जागरुक कैंप के बावजूद रकबा कम नहीं हो रहा। इससे भूजल संकट बढ़ गया है। कीटनाशक से कैंसर तेजी से फैलने लगा है। अब नई नीति में 10 लाख हेक्टेयर धान का रकबा कम होगा। किसानों को दाल, मटर व मूंग बीजना होगा।

नई कृषि नीति के तहत गेहूं के रकबे में 5 लाख हेक्टेयर की कमी की योजना है। किसानों को गेहूं की परंपरागत फसल को छोड़कर आलू, मक्की और सब्जियां आदि की बीजाई करनी होगी। कौन सी फसल का मंडीकरण कहां ज्यादा है, उसे देखते हुए माझा, मालवा व दोआबा के जोनों में विभिन्न फसलों की बिजाई होगी।

पंजाब में किसानों से गर्मियों की ‘मूंग’ की 7,275 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद की गई। पंजाब की ‘आप’ सरकार ने पहले घोषणा की थी कि वह एमएसपी पर ‘मूंग’ की फसल खरीदेगी। सरकार ने ऐसा किया भी | इस कदम का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित देना था।

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