खजूर को राजस्थान की आबोहवा भी रास आ गई है। खजूर पौष्टिकता से भरपूर और स्वादिष्ट तो है ही, इसकी पैदावार करने वाले किसानों की जेबें भी भर रही हैं। खजूर की खेती के लिए गर्म तापमान की ज़रूरत होती है, इसलिए अब राजस्थान में भी इसकी खेती कर किसान फलने-फूलने लगे हैं। राज्य में करीब 1,100 हैक्टेयर में खजूर की खेती हो रही है। उत्कृष्टता केंद्र व वरटेक कंपनी जैसलमेर इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। खजूर अनुसंधान डिप्टी डायरेक्टर हॉर्टीक्लचर प्रताप सिंह कुशवाहा ने बताया कि तापमान 50 डिग्री हो या एक डिग्री फिर भी खजूर की खेती सहज ही की जा सकती है। बंजर जमीन पर व कम गुणवत्ता पानी से भी इसकी उपज हो सकती है। हाल में कुछ नई किस्मों पर अनुसंधान शुरू किया गया है। जल्दी ही 15 किस्म के खजूर खाने को मिलेंगे।
बंजर माने जाने वाला जैसलमेर जिला भी अब खजूर की खेती में हाथ आजमा रहा है। इसकी खेती से अच्छी आमदनी होने के चलते जिले में खजूर उत्पादक किसानों के वारे-न्यारे हो रहे हैं। राज्य की बात करें तो कुल 1100 हेक्टेयर में खजूर की खेती हो रही है। सैंकड़ों किसान इसकी खेती कर रहे हैं। विभाग के अधिकारी किसानों को खजूर की संभाल के बारे में लगातार ट्रेनिंग दे रहे हैं।
खारे पानी मे खजूर के बाग को खारे पानी से भी सिंचित किया जा सकता है। इस पर बरसात व तेज तापमान का ज्यादा असर नहीं होता है। रोग व कीड़े भी इसमें ज्यादा नहीं लगते। एक हैक्टेयर में कुल 156 पौधे लगते हैं। इसमें 148 मादा और आठ पौधे नर के लगते हैं. प्रति पौधा 80 किलो से 160 किलो तक उत्पादन होता है। सेंटर ऑफ एक्सिलेन्स फॉर खजूर उद्यान के उपनिदेशक प्रताप सिंह कुशवाहा ने बताया कि हमारे यहां खजूर के पौधे तैयार करके किसानों को बेचा भी जा रहा है और किसान खजूर कि खेती को सीखकर बड़ी़ संख्या में खेती के लिए इन पौधों को लेकर जा रहे हैं. एक पौधे की कीमत 1500 रुपये है। हालांकि सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। लेकिन खजूर के खेत में पौधे का पूरा पैसा मिलता है। इस साल भी खजूर के खेत में चार हजार पौधे लगाने का लक्ष्य है। जिस पर फार्म द्वारा 4 हजार 105 पौधे तैयार किए गए हैं। जिसमें से 3 हजार 892 पौधे भी किसानों को बेचे जा चुके हैं। खजूर की खेती से भी 50 लाख रुपये की कमाई हुई है। इसके अलावा बाकी बचे 2 हजार पौधे तैयार हैं और करीब 30 लाख के पौधे और बिकेंगे।