किसान नेता, प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की 23 दिसम्बर को जयन्ती मनायी जाती है| यह दिन किसान-दिवस के रूप में मनाया जाता है|
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भारत में आज भी कृषि 43 फीसदी लोगों को रोजगार देता है. अपने देश में 47.7 फीसदी बच्चे खेतों में काम करते हैं| ये हम नहीं कह रहे| वर्ल्ड बैंक ने इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन (ILO) के आंकड़ों के आधार पर यह जानकारी दी है| आईएलओ के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में भारत के 47.7 फीसदी बच्चे खेतों में काम करते थे| यह आंकड़ा कई छोटे और पिछड़े देशों से ज्यादा है|
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, भारत में वर्ष 1991 तक 63 फीसदी लोगों को कृषि क्षेत्र में ही रोजगार मिलता था| वर्ष 2019 में यह आंकड़ा घटकर 43 फीसदी रह गया| इसी तरह वर्ष 2000 तक भारत में 70 फीसदी बच्चे खेतिहर मजदूर का काम करते थे, जबकि 12 वर्ष बाद यानी वर्ष 2012 में इसमें गिरावट आयी और यह 47.7 फीसदी रह गया| हालांकि, कई छोटे और पिछड़े देशों की तुलना में यह अब भी ज्यादा है|
वर्ल्ड बैंक की इस रिपोर्ट के मुताबिक, तजाकिस्तान में 23.8 फीसदी बच्चे खेतों में काम करते हैं, तो जॉर्डन में 26 फीसदी| डोमिनिकन रिपब्लिक के 28.5 फीसदी बच्चे खेतों में काम करते हैं| बांग्लादेश में यह आंकड़ा 34.1 फीसदी है, चिली में 34.6 फीसदी, उरुग्वे में 36.7 फीसदी, जमैका में 36.8 फीसदी, कोस्टारिका में 41.5 फीसदी, वेनेजुएला में 41.7 फीसदी और जॉर्डन में 40.9 फीसदी बच्चे खेतों में काम करते हैं|
किर्गिस्तान में 99.4 फीसदी श्रम बल में शामिल हैं, जबकि तिमोर-लेस्ते में 98.2 फीसदी, मोल्दोवा में 97.1 फीसदी, इथियोपिया में 96.8 फीसदी, रोमानिया में 96.4 फीसदी, जांबिया में 96.3 फीसदी, लाओ पीडीआर में 96.0 फीसदी, यूगांडा में 94.4 फीसदी, गांबिया में 92.8 फीसदी, अजरबेजान में 91.9 फीसदी, नामीबिया में 91.5 फीसदी, नाइजीरिया में 90.8 फीसदी, मेडागास्कर में 90.6 फीसदी, कैमरून में 90.2 फीसदी, अलबानिया में 83.7 फीसदी, बांग्लादेश में 34.1 फीसदी बच्चे श्रम कार्य से जुड़े हैं|