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सफल महिला किसान-2 : बिहार की पहचान बनीं ‘मशरूम लेडी’ अनीता देवी

बात खेती-किसानी करें तो देश में ऐसी कितनी ही सफल महिला किसान हैं, जो माटी से सोना उपजाने का काम कर रही हैं| वे खुद तो खेती में कमाल कर ही रही हैं, साथ ही अपने साथ अन्य परिवारों में भी खुशहाली का चिराग रोशन कर रही हैं|

एक ऐसी ही महिला किसान हैं अनीता देवी. नालंदा जिले के चंडीपुर प्रखंड स्थित अनंतपुर गांव की अनिता देवी अपने जिले का एक चर्चित नाम हैं| उन्होंने अपनी सफलता से अपने परिवार की दशा तो बदल ही दी है, साथ ही अनेक महिलाओं के लिए तरक्की का एक नया मार्ग भी प्रशस्त कर दिया है| अनीता देवी बिहार में मशरूम लेडी के नाम से मशहूर हैं| वे खेत में ट्रेक्टर चलाती हैं, फसल उगाती हैं और दूसरे किसानों के लिए मिसाल कायम करती हैं|

अनीता की सलफता की कहानी वहां से शुरू होती आज से 8 साल पहले| उनके पति संजय कुमार को जब अच्छी पढ़ाई-लिखाई के बाद भी नौकरी नहीं मिली तो वे हताश होकर गांव में खेती करने लगे| लेकिन खेती से घर का ही खर्च निकाला जा सकता था, बच्चों के अच्छे भविष्य के बारे में सोचने तक की गुंजाइश नहीं थी, लेकिन अनीता अपने बच्चों के अच्छी शिक्षा देना चाहती थी| इसके लिए उन्होंने खुद ही कुछ नया करने की ठानी|

मशरूम उत्पादन की पूरी ट्रेनिंग के लिए वह उत्तराखंड स्थित पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय गईं और वहां वैज्ञानिकों से मशरूम उत्पादन की हर तकनीक की जानकारी ली| उन्होंने समस्तीपुर स्थित डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि यूनिवर्सिटी से भी मशरूम के बारे में ट्रेनिंग ली|

ट्रेनिंग लेकर उन्होंने आयस्टर और बटन मशरूम का उत्पादन शुरू कर दिया| अनीता ने बताया कि मशरूम उत्पादन उन्हें इसलिए अच्छा लगा क्योंकि इसके लिए अगल से तामझाम की जरूरत नहीं होती| खेती से निकलने वाले कचरे से ही मशरूम पैदा किया जा सकता है|

अनीता के घर में जब मशरूम होने लगा तो उनके पति संजय उसकी पैकिंग करके बाजार में बेचकर आते| इससे उनको रोजाना की आमदनी होने लगी| और अनीता का यह धंधा चल निकला| धीरे-धीरे उन्होंने अपने साथ गांव की अन्य महिलाओं को भी जोड़ा और बड़े पैमाने पर मशरूम उत्पादन करने लगीं|

जब उनसे और महिलाएं जुड़ने लगीं, मशरूम का उत्पादन अच्छा-खासा होने लगा तो अनीता ने माधोपुर फार्मर्स प्रोड्यूसर्स कंपनी लिमिटेड की स्थापना की| उनके ग्रुप में आज 5 हजार महिलाएं जुड़ी हुई हैं. इस कंपनी से उन्हें 15-20 लाख रुपये सालाना की आमदनी हो रही है|

आज अनीता अपने गांव में रोजना करीब 300 किलो मशरूम का उत्पादन कर रही हैं| मशरूम के बाद उन्होंने मशरूम का बीज तैयार करने की ट्रेनिंग ली और घर पर ही छोटी सी प्रयोगशाला लगाकार बीज तैयार करने लगीं. उनके बीज की भी काफी डिमांड आने लगी तो उन्होंने सरकार की मदद से एक बड़ी लैब तैयार कर ली| इसके लिए उन्हें सरकार द्वारा अनुदान भी मिला| मशरूम के बीज का उत्पादन उन्होंने दो साल पहले ही शुरू किया है| राष्ट्रीय बागबानी मिशन से उन्हें लैब तैयार करने में मदद मिली है|

अनीता बताती हैं कि पहले वह मशरूम तैयार करने के लिए राजेंद्र प्रसाद कृषि यूनिवर्सिटी से रोजाना बीज खरीदती थीं, लेकिन जैसे-जैसे उनके ग्रुप से महिलाएं जुड़ने लगीं तो उन्होंने 300 किलो बीज की मांग की| इस पर यूनिवर्सिटी ने इतनी मात्रा में बीज देने में असमर्थता जाहिर की| इसके बाद उन्होंने खुद की लैब तैयार की|

अनीता देवी को उनकी इस कामयाबी के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर अनेक सम्मान मिल चुके हैं और पूरे बिहार में वह मशरूम लेडी के नाम से मशहूर हैं|

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