मछली उत्पादन के मामले में बिहार के मछुआरों को कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है। सूबे में मछली उत्पादन बढ़ने के साथ देश के अन्य सूबों में भी बिहार की ही मछलियां अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं।
बिहार सरकार ने सड़क किनारे मछ्ली बेचने वाले मछुआरों को किट और साईकिल के साथ आईस बॉक्स का वितरण किया। वहीं आने वाले दिनों में राज्य के तीस प्रखंड और तीस पंचायत में मछली बाजार का निर्माण किया जाएगा। इससे मछली बाजार को बढ़ावा मिलेगा।
बिहार सरकार के पशुपालन और मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा मछलियों को उपभोक्ताओं और बाजार तक पहुंचाने में किसी तरह की कठिनाई नहीं हो, इसकी कोशिश हो रही है। इस समस्या के निजात के लिए विभाग के मंत्री मो. आफाक आलम, मुख्य सचिव निशात अहमद और पशुपालन और मत्स्य संसाधन विभाग की सचिव डॉ एन. विजयलक्ष्मी के द्वारा मछली व्यापार के लिए किट और साइकिल-सह-आईस बॉक्स का वितरण किया गया।मात्स्यिकी विकास और कल्याणकारी योजना के तहत पटना जिले के 60 मछुआरों को किट और 25 मछुआरों को साइकिल व आईस बॉक्स का वितरण किया गया। वहीं मछुआरों का कहना है कि सरकार उन्हें मछली बेचने के लिए एक दुकान की व्यवस्था करे, तब इस किट का सही तरीके से उपयोग हो पाएगा।
विभाग की सचिव डॉ एन. विजयलक्ष्मी ने बताया कि बिहार मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है। अब दूसरे राज्य सहित नेपाल में मछली भेजी जा रही है। अभी तक हम मछली उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। अब इसके लिए बेहतर बाजार के क्षेत्र में काम करना है ताकि बिहार की मछली दूसरे राज्यों में जा सके. इसके साथ ही पोल्ट्री, अंडा, बकरी, मछली के क्षेत्र को किस तरह विकसित किया जाए, इसको लेकर बेहतर योजना बनाई जा रही है। साथ ही अब इस क्षेत्र में एफपीओ को जोड़ने की योजना है।
मछली उत्पादन में बिहार जल्द आत्मनिर्भर होगा, क्योंकि मछली उत्पादन में देशभर में बिहार चौथे स्थान पर पहुंच गया है। वर्ष 2007-08 में प्रदेश में दो लाख 88 हजार टन सालाना मछली उत्पादन होता था, वह वर्ष 2020-21 में बढ़कर सात लाख 62 हजार टन हो गया है। इसी तरह प्रदेश में दूध उत्पादन भी दोगुना हो गया है। 2007-08 में में 57 लाख सात हजार टन दूध उत्पादन था, जो वर्ष 2020-21 में 115 लाख दो हजार टन हो गया।