कई राज्यों में ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए सरकारों की तरफ से कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में अगर हरियाणा की बात की जाए तो राज्य सरकार भी सोलर ऊर्जा की तरफ आगे बढ़ते हुए कई बड़े प्रयास कर रही है। अब बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करना चुनौती बन गया है। बिजली की खपत ज्यादा है और किसी तरह बिजली खरीदकर उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराई जा रही है। हरियाणा में फिलहाल 681 मेगावाट सोलर ऊर्जा का कुल उत्पादन होता है। इसमें से करीब 88 मेगावाट बिजली सोलर ऊर्जा विभाग की तरफ से बिजली विभाग को भी दी जाती है।
हरियाणा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी हिसार में 1000 किलोवाट तो दीनबंधु छोटू राम यूनिवर्सिटी सोनीपत में 1000 किलोवाट का सौलर प्लांट लगेगा । भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय सोनीपत में 1000 किलोवाट जेसी बोस यूनिवर्सिटी फरीदाबाद में 266 किलोवाट। पीजीआई रोहतक में 488 किलोवाट का सौलर प्लांट लगाया जाएगा।
वहीं, हरेडा ने 2000 मेगावाट बिजली किसानों के खेतों में तैयार करने की योजना बनाई है। इसके तहत 1000 किसानों के यहां दो-दो मेगावाट के बिजली प्लांट लग सकेंगे। यह बिजली दूसरे किसान प्रयोग कर सकेंगे। इस योजना में कंपनियां भी शामिल हो सकेंगी और किसान स्टेक होल्डर होंगे
बिजली की कमी दूर करने के लिए हरेडा ने वर्ष 2023 से 2030 तक की योजना तैयार की है। इसके तहत हर साल प्रदेश में 3500 मेगावाट सौर ऊर्जा के प्लांट लगाए जाएंगे। सरकार की ओर से वर्ष 2016 में सोलर पावर पॉलिसी बनाई गई थी। विभाग को वर्ष 2021-22 में 4800 मेगावाट सौर ऊर्जा तैयार करनी थी, लेकिन महज 600 मेगावाट ही बिजली तैयार हो पाएगी।
हरियाणा के उत्तरी एवं पूर्वी जिलों में नहरों के किनारों पर सोलर बिजली का उत्पादन नहीं हो पाएगा। ऐसे में अब दक्षिण पश्चिम के जिलों में यह योजना तैयार होगी। इनमें सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, नारनौल और मेवात आदि जिले शामिल होंगे। इनमें 200 मेगावाट सौर ऊर्जा पैदा करने की योजना है।
हरियाणा में करीब 15 लाख हेक्टेयर में धान की खेती होती है। धान की पराली पर आधारित प्लांट लगाकर बिजली तैयार की जाएगी। पांच-पांच मेगावाट के करीब 120 प्लांट लगाए जाएंगे। 2023 के धान सीजन से किसानों से पराली खरीदनी शुरू होगी।