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बुन्देलखण्ड के किसानों के तरीके बदलकर आमदनी बढाने की कोशिश

बुंदेलखंड में सातों जिलों में 25 लाख हेक्टेयर से ज्यादा खाली पड़ी भूमि में मोटा अनाज कठिया, सांवा कोदा (कुटकी), काकुन सहित औषधि पौधे कैथा, इमली, आंवला, जामुन, बेर और महुआ की बागवानी की जाएगी। बुंदेलखंड में 85 लाख हेक्टेअर कृषि भूमि है। इसमें 60 लाख हेक्टेअर भूमि में खेती की जाती है। शेष परती व बंजर है।

प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए यहां किसानों को 80 फीसदी सब्सिडी पर जैविक खाद व बीज उपलब्ध कराया जाएगा। इसके लिए गांवों में किसानों से गोबर खरीदने की भी योजना है। ग्राम पंचायत स्तर पर खाद गड्ढों का निर्माण कराया गया है। इससे गो पालन को बढ़ावा मिलेगा। ढैंचा, सनई खाद के बीज भी दिए जाएंगे। केचुआ खाद के लिए प्रेरित किया जाएगा।

बताया गया कि बुंदेलखंड के सात जिले झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, बांदा, चित्रकूट, महोबा में डेढ़ हजार किसान पांच हजार एकड़ भूमि पर प्राकृतिक खेती कर कम खर्च में ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों का कहना है कि वह सिर्फ गो आधारित खेती करते हैं जिसमें गोमूत्र बने पदार्थ शामिल हैं।|

कृषि विशेषज्ञो का कहना है कि रासायनिक खाद की जगह किसान धीरे-धीरे जैविक खाद का प्रयोग करें तो 3 से 5 साल में जमीन की स्थिति फिर से सामान्य हो सकती है| किसान भाई ऑर्गेनिक कार्बन को पूरा करने के लिए खेत ने हरी खाद का इस्तेमाल करें| इसके लिए वो ढैंचा और सनई बो सकते हैं. ढैंचा का बीज 45 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से डाला जाता है|

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