पूर्वी उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना में ऐसे लघु गुड़ इकाई की स्थापना हुई है, जिसका उपयोग कर सिर्फ 5 घंटे में 10 क्विंटल गुड़ तैयार किया जा सकेगा| माना जा रहा है कि इस तकनीक का इस्तेमाल करने से गन्ने की पेराई में कम वक्त लगेगा| इसके अलावा उतने ही वक्त में बढ़िया किस्म का गुड़ अधिक मात्रा में बनाया जा सकेगा| सरकार का दावा है कि इस तकनीक के आने से किसानों को उनके गुड़ का अच्छा दाम मिल सकेगा और गन्ना-किसानों की आय में भी इज़ाफा होगा| देवरिया जिला गन्ने की सघन खेती वाला क्षेत्र है|
भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके अजय तिवारी के निर्देशन में गुड़ उत्पादन का काम होगा| इस नई तकनीक के माध्यम से गुड़ बनाने के बजाय अलग-अलग सांचे के गुड़ तैयार कर सकते हैं| करीब 35 लाख कीमत वाली इस यूनिट से तैयार किया गया गुड़ ज्यादा दिनों तक रखा जा सकता है| तैयार गुड़ जल्दी खराब नही होगा|
कृषि विज्ञान केंद्र मल्हना देवरिया भाटपाररानी के प्रभारी डॉक्टर रजनीश श्रीवास्तव बताते हैं कि कृषि विज्ञान केंद्र की स्थापना 2012 में हुई थी यहां किसानों को खेती की नयी-नयी तकनीकों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाता है| राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत लघु गुड़ यूनिट की स्थापना में 35 लाख रुपये की लागत आई है. इस ईकाई से दो घण्टे में एक कुंतल गुड़ बनाया जा सकेगा| इस दौरान सिर्फ 5 मजदूरों की जरूरत होगी|
गौरतलब है कि बाजार में आजकल अदरक व तिल वाले गुड़ की मांग बढ़ गयी है जो 100 रुपये किलो तक बाजार में बिक रहा है| लिहाजा लोगों की मांग को देखते हुए इस यूनिट में नई तकनीक से तिल,अदरक के साथ-साथ ड्राई फ्रूट्स को मिलाकर कम समय में मनचाहे पैकेजिंग कर किसान मनचाही आय हासिल कर सकते हैं|
भारत में गन्ने की खेती लगभग ३२ लाख हैक्टर भूमि पर की जाती है जिससे १,८०० लाख टन गन्ने की उपज प्राप्त होती है। इस प्रकार गन्ने की औसत उपज लगभग ५७ टन प्रति हैक्टर है जो उत्पादन-क्षमता से काफी कम है।