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Ripe purple eggplants growing in the vegetable garden. Shallow depth of field, selective focus.

बरसात में बैंगन की खेती

बैंगन का भारत में बहुत उत्पादन होता है, पूरे विश्व में चीन के बाद सबसे ज्यादा बैंगन का उत्पादन भारत में किया जाता है। बैंगन मानव शरीर के लिए बहुत लाभकारी है, यह पेट की बीमारियों से छुटकारा दिलाता है। साथ ही इसकी सब्जी और भर्ता बहुत स्वाद बनता है।

बैंगन की खेती बरसात में सब्जी की खेती में किसानों को अच्छा फायदा पहुंचाती है। उत्तर भारत के किसान बैंगन की खेती पर बहुत भरोसा जताते हैं। आमतौर पर बैंगन बैंगनी रंग का होता है, परंतु दुनियाभर में सफ़ेद, हरा और पीला बैंगन भी पाया जाता है।

मिट्टी का 5-7 पीएच और उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे बढ़िया मानी जाती है। शुष्क और आद्र जलवायु में बैंगन की फसल अच्छी पैदावार देती है। इसके अलावा बैंगन की खेती के लिए मध्यम बारिश की आवश्यकता होती है। बैंगन के पौधों की रोपाई के समय तापमान 20 डिग्री के आसपास होना चाहिए।

बैंगन के पौधों को रोगों से बचाने के लिए अच्छे कीटनाशक का उपयोग करना बहुत जरूरी है। बैंगन की फसल से प्रति हेक्टेयर 400-500 क्विंटल फसल प्राप्त की जा सकती है। आमतौर पर बैंगन का भाव 10-15 रुपए रहता है, लेकिन फिर भी कम लागत की फसल होने के कारण आप इससे अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

तना एवं फल बेधक :
यह कीट पत्तों के साथ साथ बैंगन को अंदर से भी खा जाते है, जिसके कारण फसल की उपज को नुकसान पहुंचता है|

लाल मकड़ी : यह लाल मकड़ी पत्तों के नीचे जाल बनाकर पत्तों का रस चूसती है| इसके कारण बैगन के पत्ते लाल रंग के दिखाई देने लगते है|

जैसिड : इस प्रकार के कीड़े पत्तों के नीचे चिपककर रस चूसते हैं. जिसके कारण पत्तियां का रंग पीला और पौधे कमजोर हो जाते है|

जड़ निमेटोड : इससे पौधों की जड़ों में गांठ बन जाती है जिसकी वजह से पत्तियों का रंग पीला और पौधों का विकास रूक जाता है. जड़ निमेटोड के ये प्रमुख लक्षण है|
एपीलैक्ना बीटल : एपीलैक्ना बीटल पत्तों को खाने वाला लाल रंग का छोटा कीड़ा होता है|

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