छत्तीसगढ़ के कवर्धा जिले में इस वर्ष खरीफ सीजन में गन्ने का रकबा बढ़ा है| किसान गन्ने की फसल को प्राथमिकता दे रहे हैं| बीते तीन सालों की बात करें तो धान के रकबे में गिरावट दर्ज की गई है| गन्ने के रकबे में साल दर साल बढ़त है| इस बीच गन्ने का रकबा बढ़कर 32 हजार हेक्टेयर में पहुंचने वाला है| इसकी वजह किसानों को गन्ने में ज्यादा लाभ व राज्य सरकार द्वारा जा रही फसल परिवर्तन में प्रोत्साहन भी मानी जा रही है|
धान की जगह गन्ने की फसल लेने वाले किसानों का मानना है कि धान की फसल में अधिक मेहनत, देखरेख व लागत ज्यादा है| जबकि इसकी तुलना में गन्ने में लागत मूल्य काफी कम है| साथ ही धान की तुलना में आमदनी ज्यादा है| साथ ही जिले में दो शक्कर कारखाने हैं, गुड़ फैक्ट्री है| भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष डोमन चन्द्रवंशी ने बताया कि कवर्धा में गन्ना कारखाना होने से इससे किसानों का गन्ना आसानी से बिक जाता है|
इसके अलावा राज्य सरकार द्वारा फसल परिवर्तन करने पर राजीव गांधी न्याय योजना के तहत दी जा रही 9 हजार की इनपुट सब्सिडी भी मानी जा रही है|
धान का समर्थन मूल्य 2500 किए जाने के बाद भी किसान धान के बजाय गन्ने की खेती ज्यादा कर रहे हैं. साल 2019 में गन्ने का रकबा 19 हजार हेक्टेयर था, जो साल 2021-22 में बढ़कर 22 हजार हेक्यटेयर हो गया है| इस वर्ष 2022-23 में करीब 8 हजार हेक्टेयर गन्ने का रकबा और बढ़ सकता है|
कवर्धा जिला कृषि प्रधान जिला माना जाता है. इससे पहले यहां सोयाबीन, धान की फसल बहुतायात में ली जाती रही है| जब से शुगर मिल खुली है, किसानों ने धान की फसल बोना कम कर दिया था|