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उत्तर प्रदेश : नई ‘खांडसारी लाइसेंसिंग पॉलिसी’ के तहत अब तक 280 लाइसेंस जारी

उत्तर प्रदेश सरकार ने ग्रामीण व्यवस्था में व्यापक सुधार के लिए गुड़ और खांडसारी उद्योग के क्षेत्र में रोजगार के बड़े अवसर पैदा किए हैं। खांडसारी लाइसेंसिंग पॉलिसी में किए गए सकारात्मक बदलावों और ऑनलाइन खांडसारी लाइसेंसिंग प्रणाली के क्रियान्वयन से लोगों की इस उद्योग के प्रति रुचि बढ़ी है।

अधिकारियों ने कहा कि, इससे स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए रोजगार के अवसर निर्माण होंगे। चीनी उद्योग एवं गन्ना विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, नई खांडसारी लाइसेंस नीति के तहत अब तक 280 लाइसेंस जारी किए जा चुके हैं, जिसमें 170 इकाइयां संचालित हो रही हैं। इनकी कुल पेराई क्षमता 71,350 टन प्रतिदिन है। इन इकाइयों के संचालन से ग्रामीण क्षेत्रों में 688 करोड़ रुपये का पूंजी निवेश हुआ। इस उद्योग में लगभग 19,264 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए गए हैं।

खांडसारी इकाइयों के संचालन से गन्ना किसानों को गन्ना आपूर्ति के अवसर मिलेंगे और गन्ने की पेराई का एक अतिरिक्त विकल्प भी मिल गया है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में खांडसारी उद्योग में लगे लोगों की आर्थिक स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

अब चीनी मिल से आठ किलोमीटर की परिधि से दूरी पर खांडसारी इकाई को नया लाइसेंस मिल सकेगा जबकि पहले चीनी मिल से 15 किलोमीटर से बाहर उद्योग लगाने पर लाइसेंस जारी होते थे। खांडसारी उद्योग के लिए अब ऑनलाइन लाइसेंस मिलेगा। तीन कार्यदिवस में परीक्षण करके लाइसेंस दिया जाएगा। खांडसारी इकाई को वैक्यूम के अन्तर्गत सिरप ब्रिक्स को अधिकतम 65 डिग्री तक वाष्पीकरण करने की अनुमति होगी। यह अनुमति प्रार्थना पत्र देने पर तीन कार्यदिवस में उप चीनी आयुक्त द्वारा दी जाएगी। अगर तीन कार्यदिवस में उप चीनी आयुक्त ने अनुमोदन नहीं किया तो यह प्रमुख सचिव के पास चला जाएगा। अगर उनके यहां से भी अनुमोदन में देरी हुई तो इसे स्वीकृत मान लिया जाएगा।

कोल्हुओं से भी रोजगार सृजन की बड़ी उम्मीद जनपद में गन्ने से गुड़ और राब बनाने का कुटीर उद्योग बड़े पैमाने संचालित है, जिससे इस वर्ष करीब 1500 कोल्हुओं पर गुड़-राब का उत्पादन हुआ है। अभी यह कुटीर उद्योग किसी विभाग के नियंत्रण में नहीं है, जिससे इसकी ओर न तो अधिकारियों की ध्यान है और न ही सरकार का। ऐसे में इस कुटीर उद्योग को आर्थिक पैकेज में स्थान मिल जाए, तो इसकी बेहतरी से किसानों और श्रमिकों को भी लाभ मिल सकेगा।

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