कपास की बिजाई के सीज़न में शुरुआती (अगेती) फसल बोने वाले किसानों को कृषि विभाग में चिन्ता है| पंजाब व हरियाणा के कृषि विज्ञान
केन्द्रों के माध्यम से कपास उत्पादक किसानों को जागरूक करने का अभियान चलाया है|
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुलाबी बॉलवर्म कपास का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है| यह कीड़ा अपना पूरा जीवन कपास पर ही पूरा करता है और यह छोटे पौधे से लेकर कली, फूल तक को खाकर उसे नुकसान पहुंचाता है|
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. जेपीएस डबास बताते हैं कि पिछले 3-4 सालों से गुलाबी सुंडी या इल्ली का हर साल फसल पर हमला देखने को मिल रहा है| इसके शुरू में ही कंट्रोल करना पड़ता है| अगर इस कीट को लेकर किसान जरा सी भी लापरवाही करते हैं तो पूरी फसल चौपट हो सकती है|
केंद्रीय कपास अनुसंधान केंद्र द्वारा कपास की फसल में गुलाबी सुंडी को रोकने के लिए कार्य शुरू किया हुआ है। इसके लिए जहां किसानों को समय समय पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी के साथ कपास के सीजन में कृषि वैज्ञानिक समय समय पर निरीक्षण करेंगे। उत्तरी भारत में कपास की फसल में सुंडी की संभावना को देखते हुए प्लान तैयार किया गया है।
गौरतलब है कि उत्तरी भारत में पिछले सीजन में जींद जिले व बठिंडा में फसल में गुलाबी सुंडी मिली। गुलाबी सुंडी को देखकर कृषि वैज्ञानिक चिन्तित हैं। इस साल भी गुलाबी सुंडी होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। ख़ास तौर पर अगेती बीज बोने वाले किसानों को बचाव करने को कहा गया है|
पिंक बॉलवर्म के लार्वा पुरानी फसल के डंठल में रहते हैं और नई फसल पर अपना जीवनचक्र को पूरा करता है और कपास की बढ़ती फसल में अंडे देता है| नए लार्वा केवल कलियों या फूलों पर खिलाते हैं| अगर फसल में कली या फूल नहीं है तो यह लार्वा फसल को कोई नुकसान पहुंचाए बिना मर जाता है|
कपास में फूल लगने और फूल खिलने के दौरान इस कीट का हमला होता है| संक्रमित फूल, कलियां और छोटे कपाल बॉल नीचे गिर जाते हैं. लार्वा बॉल में घुस कर शाखाओं और बीजों को नुकसान पहुंचाता है|
जिस फूल और कली में कीट दिखाई दे उसे तोड़कर नष्ट कर दें| कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर कीटनाशक का छिड़काव करें| साइपरमेथ्रिन 10 ईसी 10 मिली या डेल्टामेथ्रिन 2.8 ईसी 10 मिली 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें|