हिमाचल प्रदेश की सभी 3615 ग्राम पंचायतों में प्राकृतिक खेती पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू करने की योजना बनाई गई है. अभी तक लगभग पौने दो लाख रजिस्ट्रेशन भी हो चुके हैं|
श्री ठाकुर ने सभी कृषि वैज्ञानिकों से ग्रामीण अंचलों में जाकर बेहतर कार्य करने का आह्वान भी किया| उन्होंने कहा कि खेती में पानी बचाने की जरूरत है| पानी ही नहीं रहेगा तो खेती कैसे होगी|
बुधवार को सोलन (हिमाचल प्रदेश) में देशभर के कृषि विज्ञान केंद्रों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया गया| मुख्य मंत्री देशभर से आये कृषि वैज्ञानिको को संबोधित कर रहे थे|
देश में सवा सात सौ कृषि विज्ञान केंद्र हैं, जो खेती-किसानी को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं| इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने भी किसानों और वैज्ञानिकों से प्राकृतिक खेती पर फोकस करने का आह्वान किया|
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की अपील की| उन्होंने कहा कि रासायनिक खेती के विकल्पों को अपनाना आज समय की आवश्यकता है| धरती हमारी मां है, जिसकी रक्षा के लिए सभी को संकल्पित होना चाहिए| उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से आह्वान किया है कि वे स्वस्थ मिट्टी, बेहतर कृषि उत्पादन और श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए काम करें| कहा कि हमारे कृषि उत्पादों की गुणवत्ता ऐसी होनी चाहिए, जो वैश्विक मानकों पर खरी उतरें|
श्री तोमर ने कहा कि पुराने संकल्प के तहत देश में खाद्यान्न उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य को हम लोगों ने काफी हद तक हासिल कर लिया है.|अब नए संकल्प को सिद्ध करना है. सफलता के लिए सभी प्रयास करें| खेतों की मिट्टी स्वस्थ बनाने के लिए जुट जाएं, ताकि स्वस्थ खेती व श्रेष्ठ उत्पादन के माध्यम से लोगों को स्वस्थ रखा जा सकें| खेती और माटी के स्वास्थ्य की चिंता करते हुए भारत को दुनिया में श्रेष्ठ बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में काम कर रहे वैज्ञानिकों के साथ राज्य सरकार के अधिकारियों व अन्य प्रतिनिधियों को भी योगदान देना होगा|
इस मौके पर गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने वैज्ञानिकों से कहा कि आप राष्ट्र के भाग्यविधाता है| किसानों को नई दिशा देने वाले हैं| किसान के पसीने में ही भगवान के दर्शन होंगे. आपने भूखे देश को खुशहाली में बदलने का काम किया है| अब आगे भी किसानों द्वारा प्राकृतिक खेती अपनाए जाने को लेकर वैज्ञानिकों की ही अहम भूमिका रहेगी| उन्होंने तथ्य एवं आंकड़े बताते हुए प्राकृतिक कृषि पद्धति को बढ़ावा देने पर बल दिया|
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को नई तकनीकि को किसानों के खेतों तक पहुंचाना होगा| किसानों को उपज बिक्री के लिए अच्छे मार्केट से कैसे जोड़ा जाए, यह भी देखना होगा| किसानों को रासायनिक खेती से बचना होगा, ताकि हमारी धरती माता बंजर न हो जाएं| इसके लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा, ताकि लोग भी स्वस्थ रह सकें और धरती की सेहत भी अच्छी रहे| प्राकृतिक खेती के उत्पाद निर्यात भी ज्यादा मात्रा में हों कृषि मंत्रालय ने इस संबंध में जरूरी कदम उठाए हैं|