गिरते भू जल स्तर को बचाने के प्रति सरकार प्रयासरत है। धान रोपाई की बजाय सीधी बुवाई के साथ अब सरकार ने मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत धान छोड़ अन्य वैकल्पिक फसलों की बिजाई को लेकर भी खरीफ-2022 के सीजन में प्रदेश के 21 जिलों में एक लाख एकड़ का लक्ष्य रखा है। ये सभी वो फसलें होंगी, जो पानी की कम लागत में होती हैं। मकसद कल के लिए जल को बचाना है। इसकी एवज में सरकार किसान को प्रति एकड़ सात हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि देगी। उन किसानों को भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी, जिन्होंने पिछली बार धान छोड़ वैकल्पिक फसलों की बिजाई की थी|
धान छोड़ अन्य कम पानी लागत वाली वैकल्पिक फसलों की बिजाई कराने को लेकर प्रदेश में महेंद्रगढ़ को छोड़ अन्य सभी जिलों में लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसमें मक्का 15 हजार, कपास 51 हजार 500, अरहर, मूंग, उर्द, सोयाबीन व ग्वार 2500, तिलहन एक हजार, पशुओं का चारा 15 हजार व सब्जियां तथा बागवानी 15 हजार एकड़ में शामिल हैं। सबसे ज्यादा लक्ष्य 13 हजार 775 एकड़ का सिरसा, दूसरे नंबर पर 11 हजार 655 एकड़ का जींद व तीसरे नंबर पर 10 हजार 796 एकड़ का फतेहाबाद में रखा गया है। हालांकि जीटी बेल्ट से लगते अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत व सोनीपत में धान की ज्यादा खेती होती है। जहां केवल 2 से 5 हजार एकड़ के बीच का लक्ष्य रखा गया है।
मेरा पानी-मेरी विरासत योजना के तहत सरकार ने धान छोड़ खेत को खाली रखने वाले किसानों को भी प्रोत्साहन राशि देने का फैसला लिया है। पिछली बार जिस किसान ने धान लगाने की बजाय खेत को खाली छोड़ा था और अबकी बार भी खाली छोड़ता है तो उसे भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी।
किसान को मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन जरूर कराना होगा। पोर्टल को 15 मई से 30 जून तक के लिए खोल दिया गया है। एडीओ, एचडीओ, पटवारी, नंबरदार और संबंधित किसान की समिति 15 अगस्त के बाद भौतिक सत्यापन कर प्रोत्साहन राशि जारी करेगी, जो ई-पेमेंट गेटवे के जरिये सीधे किसान के खाते में आएगी।
योजना के तहत निर्धारित लक्ष्य को पाने के लिए विभाग की ओर से जोन वाइज अधिकारियों की नियुक्ति की गई है। जोन वन में शामिल पंचकुला, अंबाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल और करनाल में जगदीप सिंह बराड़, जोन टू में महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, गुरुग्राम, फतेहाबाद, पलवल व मेवात में राजेंद्र सोलंकी, जोन-थ्री में हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, भिवानी, चरखी दादरी में रोहताश सिंह, एडीए (कृषि) व जोन चतुर्थ में पानीपत, सोनीपत, जींद, रोहतक, झज्जर में सुरेंद्र दहिया, एडीए (जनरल) को जिम्मेदारी सौंपी गई है।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक डा. आदित्य प्रताप डबास का कहना है कि पानी के लगातार दोहन से भू जल स्तर गिर रहा है। धान की खेती में सबसे ज्यादा पानी लगता है। ऐसे में किसानों को गिरते भू जल स्तर को बचाने के लिए धान छोड़ वैकल्पिक खेती को अपनाना होगा। इनमें पानी की लागत बहुत कम होती है। उन्होंने कहा कि वैकल्पिक खेती में भी किसान धान की बराबर पैदावार व आमदनी ले सकते हैं। ऊपर से सरकार प्रोत्साहन राशि अलग से देगी।