हजारीबाग के सुदूरवर्ती घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने पीले तरबूज की खेती कर कुछ नया करने की कोशिश की है| उनके खेत में पीले तरबूज तैयार हो चुके हैं और आसपास के किसान भी आखिर कैसे पीला तरबूज की खेती किया जाए, इसकी जानकारी लेने के लिए पहुंच रहे हैं|
गर्मी का सबसे स्वादिष्ट फलों में से एक तरबूज है| तरबूज कहते ही लाल रंग का स्वादिष्ट रस भरा फल आंखों के सामने घूमने लगता है और मुंह में पानी आ जाता है| आज आपको हम पीले रंग का तरबूज दिखाने जा रहे हैं|
जिसे सुदूरवर्ती अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र चीची गांव की महिला किसानों ने उपजाया है| इसका बीज ताइवान से लाया गया है और ग्रीन हाउस में पौधा तैयार कर खेतों में लगाया गया है| अब पीला तरबूज तैयार हो गया है और गांव के लोग इसका स्वाद भी ले रहे हैं|
सबसे पहले खेती करने वाली महिला ने इसका स्वाद चखा और बताया कि यह लाल तरबूज से अधिक रसीला है और मिठास भी अधिक है| महिलाओं का कहना है कि एचडीएफसी बैंक से संपोषित केजीवीके द्वारा संचालित परिवर्तन योजना के तहत किसान पाठशाला का गठन किया गया| उसी पाठशाला में ताइवान के पीले तरबूज की खेती के बारे में प्रशिक्षण दिया गया| इससे वो लोग भी उत्साहित होकर अपने खेतों में पीला तरबूज लगाएं और आज पीला तरबूज हमें खुशी से लाल कर दे रहा है|
ताइवान का पीला तरबूज परिवर्तन योजना के फील्ड ऑफिसर बताते हैं कि आमतौर पर जिला में लाल तरबूज की खेती बहुत बड़े स्तर पर किया जा रहा है| इस पर उन्होंने सोचा कि इसमें कुछ परिवर्तन किया जाए| ताइवान से उन्होंने बीज मंगाया और हजारीबाग के दो गांवों चीची एवं उदयपुर में पीले तरबूज की खेती पायलट प्रोजेक्ट के रूप में किया, जिसमें सफलता भी मिली है| अब वो अगले साल 13 गांव में पीले तरबूज की खेती कराएंगे और इसकी मार्केटिंग भी कराएंगे|
कहा जा रहा है पीला तरबूज विटामिन ए और सी का अच्छा स्रोत है, जो एंटी ऑक्सीडेंट है| पीला तरबूज सूजन को कम करने और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद कर सकता है| फलों में पोटैशियम सहित कुछ खनिज भी होते हैं जिससे शरीर में द्रव्य का स्तर नियंत्रित करता है| लाल तरबूज के विपरीत पीले तरबूज से अधिक बिटा कैरोटीन होता है जो एक एंटीऑक्सीडेंट है जो कैंसर और आंख की बीमारी से बचाता है|