अमेरिका और नीदरलैंड में यहां के फूलों की भारी मांग है। ऐसे में जानना दिलचस्प है कि फ्लोरीकल्चर में भारत में किस तरह के अवसर मौजूद हैं। परंपरागत खेती कर रहे लोग फूलों की खेती से जुड़ रहे हैं। फसलों में बदलाव के साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है।
एपीडा के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने 2018-19 में 19,726 मीट्रिक टन फूलों का निर्यात, 81.94 मिलियन यूएस डॉलर में, जबकि 2019-20 में 75.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के 16949 मीट्रिक टन फूलों का निर्यात किया था। 2020-21 में 77.84 मिलियन अमेरिकी डॉलर के फूलों का एक्सपोर्ट हुआ था। एपीडा के मुताबिक भारत में 300 से अधिक यूनिट ऐसे हैं जो फूल निर्यात केन्द्रित हैं। यानी इनका फोकस फूलों का निर्यात करने पर ही होता है।
अमेरिका सबसे अधिक 27.6 फीसद फूलों का आयात करता है। दूसरे नंबर पर नीदरलैंड 18.98 फीसद फूल खरीदता है। UAE और यूके में क्रमश: 5.98 और 5.75 परसेंट फूलों का निर्यात होता है। जर्मनी में भारत के कुल फूल निर्यात का 5.58 परसेंट खरीदा जाता है। फूलों की मात्रा खरीदने के मामले में सिंगापुर भी पांच प्रमुख देशों में शामिल होता है। यहां वित्त वर्ष 2020-21 में 1418.93 मीट्रिक टन भारतीय फूल खरीदे गए।
भारतीय फूलों के इन पांच प्रमुख खरीदार देशों के अलावा कई और देशों में भी फूलों का निर्यात करता है। इनमें 17 देश ऐसे हैं जिन्होंने 2020-21 में 100 मीट्रिक टन से अधिक के भारतीय फूल आयात किए। इन देशों में जापान, कनाडा, इटली, मलेशिया, स्पेन, पोलैंड, फ्रांस, नेपाल और कतर जैसे देश शामिल हैं। बेल्जियम, कुवैत, ऑस्ट्रिया, ओमान, केन्या, सऊदी अरब, हंगरी और मालदीव में भी 100 मीट्रिक टन से अधिक के फूल खरीदे जाते हैं।