सूबे की योगी – सरकार अब ‘फूड फॉरेस्ट” के जरिए हरियाली बढ़ाकर पर्यावरण संरक्षण की पहल कर रही है| इसके लिए सरकार ने अलग कृषि जलवायु क्षेत्रों (एग्रो क्लाइमेटटिक जोन) के 15 जिलों को चिह्नित किया है| इन जिलों में स्थानीय किसानों के सहयोग से अगले छह महीने में फूड फॉरेस्ट डेवलप किए जाएंगे|
चयनित जिलों में बिजनौर, अमरोहा और सहारनपुर आम की पट्टी में शामिल हैं. वहीं, संभल, रामपुर, बदायूं अमरूद पट्टी के हैं. इसी तरह अन्य जिले भी किसी न किसी फलपट्टी में शामिल हैं| ये पार्क इकोफ्रेंडली होने के साथ खुद में कृषि विविधीकरण की भी मिसाल होंगे| फूड फॉरेस्ट में संबंधित क्षेत्र के कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लामेटिक जोन) के अनुसार पौधों का चयन किया जाएगा|
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार फूड फॉरेस्ट में पहले चरण में आम, अमरूद, अनार और पपीते के पौध लगाए जाएंगे|
दूसरे चक्र में जामुन, बेर यानी छोटे जंगली फलों के पौधे लगाए जाएंगे. तीसरे चक्र में अरहर, मूंग, उड़द, मटर व चने की बुआई होगी. चौथे चरण में लेमनग्रास, तुलसी, अश्वगंधा जैसे हर्बल प्लांट पार्क लगेंगे|
पांचवें चक्र में गिलोय, अंगूर, दमबूटी आदि बेल प्रजाति रोपित होगी. इसी तरह पौधों का चयन अलग-कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार होगा| इसमें लगी दलहनी फसलें प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन स्थिरीकरण (फिक्सेशन) का काम करेंगी. पक्षियों की बीट प्राकृतिक खाद का काम करेगी| फूलों पर आने वाली मधुमक्खियां और तितलियां परागण का काम करेंगी|
धान-गेंहू की परंपरागत खेती की बजाय कृषि विविधीकरण से ही ऐसा संभव है| ये पार्क खुद में इसकी नजीर होंगे. यही नहीं इन पार्कों से प्रसंस्करण इकाइयों के लिए भविष्य में कच्चा माल मिलेगा| फलदार पौधों का रकबे के साथ हरियाली भी बढ़ेगी|
शुरुआती चरण में
बुलन्दशहर, सहारनपुर, मेरठ, गाजियाबाद, बिजनोर, अमरोहा, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर, पीलीभीत,गोरखपुर और गौतमबुद्धनगर में शुरुआती चरण में फ्रूट पार्क बनेंगे|