सूबे में आम के बागों में झुमका यानी बौर के गुच्छे बन गये हैं | आशंका है कि करीब 80 फीसदी आम की फसल झुमके का शिकार हो गई है| जानकारी के मुताबिक झुमका रोग आम के पेड़ पर पैदा होने वाले बौर पर लगता है| यह वो बीमारी है जो बदलते मौसम और कीटनाशक दवाओं के जरिए लगती है| इस साल आम की पैदावार अच्छी हुई थी मगर दिन का तापमान ज्यादा होने से आम के बौर (मंज़र) गुच्छों मे बदल गये हैं|
आम बड़ा होने से पहले ही झुलस कर गिर रहा है| आम की बागवानी करने वाले परेशान हैं| क्योंकि हर बार अच्छी पैदावार से कमाई हो जाती थी| इस साल यह रोग लगने की वजह से किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें हैं| इस समय रोग लगने की वजह से वो कच्चा आम भी पहले जितना नहीं बेच पा रहे हैं| हां, उत्पादन में कमी की वजह से दाम अच्छा मिलने की उम्मीद है, वही उत्पादन में हुए नुकसान की भरपाई कर सकता है|
बौर को झुमका रोग से बचने के लिए तरह-तरह की नकली कीटनाशक का छिड़काव करने और भीषण गर्मी की मार ने बौर को बर्बाद कर दिया है| बदलता मौसम-चक्र भी इसकी वजह है|
आम का गुच्छा रोग के लक्षण
आम की नई पत्तियों एवं फूलों की असामान्य वृद्धि, टहनियों पर एक ही स्थान पर अनगिनत छोटी-छोटी पत्तियां निकल आना, बौर के फूलों का असामान्य आकार होना, फूल का गिर जाना, फल निर्माण अवरुद्ध हो जाना, आदि इस रोग के प्रमुख लक्षण है।
गुम्मा रोग दो प्रकार का होता है
आम के पत्तियों का गुम्मा
आम की टहनी पर एक पट्टी के स्थान पर अनगिनत छोटी- छोटी पत्तियों का गुच्छा बन जाना, तने की गाठों के बीच का अंतराल अत्यधिक कम हो जाना, पत्तियों का कड़ा हो जाना। बाद में यह गुच्छा नीचे की ओर झुक जाता है, जो बन्ची टॉप जैसा दिखता है।
आम के फूलों का गुम्मा
इस रोग से ग्रसित बौर की डाली अधिक मोटी एवं अधिक शाखायुक्त हो जाती है जिस पर 2 से 3 गुना अधिक अप्रजायी एवं असामान्य पुष्प बन जाते हैं जो कि फल में परिवर्तित नहीं हो पाते हैं अथवा यदि इन पुष्पों से फल बनता भी है तो शीघ्र ही सूख कर धरती पर गिर जाते हैं।