उत्तर प्रदेश में इस साल 6.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में आलू की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसके लिए लगभग 24-25 लाख मीट्रिक टन आलू बीज की जरूरत होगी। उद्यान विभाग किसानों को 40-45 हजार कुंतल प्रमाणित बीज उपलब्ध कराएगा, जिससे आलू उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी।
सूबे के उद्यान मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि किसानों के लिए आधारित प्रथम आलू बीज की नई दर 2995 रुपये प्रति कुंतल और आधारित द्वितीय बीज की दर 2595 रुपये प्रति कुंतल निर्धारित की गई है। पहले ये दरें क्रमशः 3495 रुपये और 3095 रुपये थीं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों के हित में आलू बीज की दरों में कमी की है।
मिली जानकारी अनुसार राज्य में कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी फ्राईसोना और कुफरी सूर्या जैसी प्रसंस्कृत प्रजातियों के बीज उत्पादन के लिए किसानों को 25,000 रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान मिलेगा, बशर्ते वे उत्तर प्रदेश राज्य बीज प्रमाणीकरण संस्था से पंजीकरण कर बैगिंग और टैगिंग पूरी करें।
उद्यान निदेशक डॉ. विजय बहादुर द्विवेदी ने बताया कि मार्च 2023 में सीपीआरआई से प्राप्त 9214.94 कुंतल जनक (ब्रीडर) बीज का उपयोग 21 राजकीय प्रक्षेत्रों में 224.83 हेक्टेयर भूमि पर किया गया। इससे 45168.50 कुंतल आधारित एवं टीएल श्रेणी के बीजों का उत्पादन हुआ, जिन्हें लखनऊ और मेरठ के शीतगृहों में भंडारित किया गया है। इन बीजों का नकद मूल्य पर किसानों में वितरण जल्द ही शुरू होगा।
भारत में सबसे अधिक आलू का पैदावार उत्तर प्रदेश में होता है. यानी आलू उत्पादन के मामले में ये राज्य अव्वल है। यहां के किसान हर साल बंपर आलू का उत्पादन करते हैं। देश की कुल आलू उत्पादन में यूपी का 29.65 फीसदी की हिस्सेदारी है। यहां की मिट्टी और जलवायु आलू की खेती के लिए बेहतर मानी जाती है।आलू के कोई भी सब्जी ज्यादातर पूर्ण नहीं होती. इसलिए पश्चिम बंगाल के किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं। दूसरे स्थान पर बंगाल है। देश की कुल पत्ता उत्पादन में बंगाल की हिस्सेदारी 23.51 फीसदी है।