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झारखंड : तीन साल में बनेंगी 100 कृषक पाठशालाएं

राज्य में कृषक पाठशाला के जरिए किसानों को खेती के बारे में बताया जाएगा| राज्य सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए कृषि क्षेत्र में फसल उत्पादन एवं उत्पादकता को बढ़ाने एवं उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी को प्रदर्शित करने के लिए कृषक पाठशाला एवं बिरसा ग्राम विकसित करने की योजना पर राज्य सरकार ने कार्य शुरू कर दिया है|

एक सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि कृषि एवं संबद्ध गतिविधियां झारखण्ड के लोगों की जीविका का मुख्य आधार है| लगभग 75 प्रतिशत राज्य की आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है और अपनी जीविका के लिए खेती पर निर्भर है|

पहले चरण में 17 कृषक पाठशाला राज्य के विभिन्न कृषि प्रक्षेत्रों में विकसित की जाएगी। फिर अगले तीन वर्षों में चरणबद्ध तरीके से 100 कृषक पाठशाला विकसित की जाएगी| कृषि, पशुपालन और मत्स्य पालन विभाग कृषक पाठशाला के माध्यम से क्षमता विकास और धारणा पर वैज्ञानिक तरीकों से किसानों को प्रशिक्षित करेगा, जो जल्द ही पूरे राज्य में चालू हो जाएगा|
राज्य में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों में फसल उत्पादन, पशुधन और मत्स्य पालन आदि शामिल हैं|

उन्होंने बताया कि कृषक पाठशाला के माध्यम से कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग द्वारा कृषकों की क्षमता विकसित की जाएगी, एवं वैज्ञानिक विधि से उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा| उन्होंने बताया कि कृषकों को कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग एवं अन्य दूसरे सरकारी विभागों की योजनाओं के बारे में जागरूक करना भी इस कार्यक्रम में शामिल है|

कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए कृषि, उद्यान, पशुपालन एवं मत्स्य से संबंधित विशेषज्ञ एजेन्सी को सूचीबद्ध किया जाएगा। साथ ही कृषि निदेशालय द्वारा तीन वर्षों के लिए 3-4 सदस्यीय राज्य स्तर पर पीएमयू का गठन किया जाएगा। कार्यकारी एजेन्सी एवं गठित पीएमयू को कार्य एवं दायित्व दिया जाएगा। सफलता पूर्वक कृषक पाठशाला की स्थापना के लिए विभिन्न प्रकार के कार्य एवं प्रत्यक्षण जो कृषि, पशुधन एवं मत्स्य इत्यादि से संबंधित होगा, उसे एजेन्सियों के द्वारा सम्पादित किया जाएगा। उसके माध्यम से कृषकों का प्रशिक्षण एवं क्षमता विकास कर बिरसा गांव के कृषक एवं मजदूरों को परिश्रमिक पर लेना एवं उनके द्वारा किए गए कार्य का भुगतान किया जाएगा।

कृषक पाठशाला की देखरेख एवं उसे सुव्यवस्थित रखना, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय से तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में प्रशिक्षक को परिभ्रमिक मानदेय पर लेना शामिल होगा। प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रशिक्षण सामग्री के लिये सहयोग प्रदान करना और मार्केट लिंकेज की योजना तैयार करना भी शामिल है।

कृषि, पशुधन एवं मत्स्य उत्पादन के लिये प्रत्यक्षण 10 एकड़ क्षेत्र में उच्च मूल्य वाले कृषि फसलों का कृषि कार्य किया जाएगा। 7.5 एकड़ क्षेत्र में फलदार पौधों का रोपन किया जाएगा। 50 बकरी, 25 सूअर, 500 वॉयलर चिक्स, 400 लेयर चिक्स, 500 बत्तख एवं 10 गाय का पालन किया जाएगा, जिसके लिए शेज, फ्लोर, यूरिन टैंक एवं फॉडर का निर्माण किया जाएगा। मलचिंग की तकनीक अपनाते हुए फुहारा सिंचाई की व्यवस्था भी होगी।

सिंचाई हेतु कृषक पाठशाला में जेनरेटर के साथ बॉवेल शेड डिलिवरी एवं समरसेबल की व्यवस्था, 10000 वर्ग फीट का पॉली हाऊस का निर्माण, मधुमक्खी पालन के लिये 100 बॉक्स का निर्माण, 10 किलो प्रतिदिन मसरूम उत्पादन की क्षमता का विकास, दो एकड़ क्षेत्र में मत्स्य उत्पादन का कार्य किया जाएगा।

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