इजराइल – भारत में खेती-किसानी की तरक्की में अपने योगदान को और बढ़ाएगा| इजराइल खेती के क्षेत्र में भी काफी आगे है| वो इस क्षेत्र में भारत को 1993 से ही सहयोग दे रहा है| दोनों के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए एक बार फिर 3 वर्षीय प्रोग्राम का करार हुआ है| दोनों देशों के बीच तकनीक के आदान-प्रदान से उत्पादकता व बागवानी की गुणवत्ता में बहुत सुधार होगा, जिससे किसानों की आय बढ़ेगी| एक कार्यक्रम में दोनों सरकारों ने कृषि तथा जल क्षेत्र पर केंद्रित रहने की जरूरत को स्वीकार करते हुए अधिक सहयोग बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की है|
-इजराइल के नए कृषि प्रोग्राम का लक्ष्य मौजूदा सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को बढ़ाना, नए केंद्र स्थापित करना, आत्मनिर्भर बनाना और निजी क्षेत्र की कंपनियों तथा सहयोग को प्रोत्साहित करना है|
-इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्सीलेंस एक नई संकल्पना है. जिसका लक्ष्य 8 राज्यों के 75 गांवों में 13 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के समीप कृषि में इकोसिस्टम विकसित करना है|
-इससे परंपरागत खेत इंडो-इजराइल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट के मानकों के आधार पर आधुनिक-सघन फार्मों में बदल जाएंगे|
कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, यह 5वां आईआईएपी ( इंडो-इजराइल एग्रीकल्चरल प्रोजेक्ट) सेंटर्स ऑफ एक्सीलेंस बागवानी क्षेत्र में कृषक समुदाय को लाभ देगा| सबसे पहले आईआईएपी पर वर्ष 2008 में 3 साल के लिए हस्ताक्षर किए गए थे| अब तक हम 4 कार्ययोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी कर चुके हैं| इजरायली तकनीकों पर आधारित इन कार्ययोजनाओं के तहत स्थापित सीओई (सेंटर ऑफ एक्सीलेंस) अब तक बहुत सफल रहे हैं| यह किसानों की आय दोगुनी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं|
भारत में इजराइल के राजदूत डॉ. रोन मलका ने कहा कि यह तीन-वर्षीय कार्यक्रम हमारी बढ़ती भागीदारी की मजबूती को दर्शाता है| इससे स्थानीय किसानों को लाभ पहुंचेगा. कार्यक्रम में कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री पुरुषोत्तम रूपाला व कैलाश चौधरी भी मौजूद रहे| कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने कहा कि नए कार्यक्रम के दौरान हमारा ध्यान सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आसपास के गांवों को विलेजिज ऑफ एक्सीलेंस में बदलने पर केंद्रित रहेगा| इजराइल रक्षा क्षेत्र के साथ-साथ कृषि तकनीक में भी काफी आगे है. दोनों देशों में बहुत गहरे संबंध हैं|
इजराइल के भारत में कृषि कार्यक्रम
-इजराइल यहां आईआईएपी के अलावा इंडो-इजराइल विलेजिज ऑफ एक्सीलेंस प्रोग्राम भी चला रहा है| एकीकृत बागवानी विकास मिशन और अंतर्राष्ट्रीय विकास सहयोग के लिए इजराइल की एजेंसी ‘मशाव’ नेतृत्व कर रही है|
-भारत में खासतौर पर इजराइल की टपकन सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) पद्धति से किसानों को काफी फायदा मिला है|
-स्थानीय जलवायु परिस्थितियों को ध्यान में रखते इजराइल की कृषि-तकनीक से तैयार उन्नत-सघन कृषि फार्मों को कार्यान्वित करने के लिए भारत के 12 राज्यों में 29 सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (सीओई) काम कर रहे हैं|
-सेंटर ऑफ एक्सीलेंस किसानों को सर्वोत्तम पद्धतियों का प्रदर्शन दिखाते हैं. यहां किसानों को ट्रेनिंग भी मिलती है|
-ये सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हर साल 25 मिलियन से अधिक गुणवत्तायुक्त सब्जी व 387 हजार से ज्यादा फल के पौधों का उत्पादन करते हैं| बागवानी क्षेत्र में नवीनतम तकनीक के बारे में हर साल 1.2 लाख से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग देते हैं|