बिहार में पिछले 10 दिन में (चार से 13 जुलाई तक) केवल दो मिलीमीटर बारिश हुई है| तीन जुलाई तक बिहार में कुल बारिश का आंकड़ा 190.8 मिलीमीटर था| अब यह आंकड़ा 12 जुलाई को दो मिलीमीटर बढ़ कर 192. 9 मिलीमीटर तक ही पहुंचा है| बारिश के लिहाज से जुलाई माह में बारिश के दो दौर के बीच का बड़ा ‘सूखा’ माना जा रहा है| अवर्षा के इस हालत में प्रदेश के किसानों की सांस अटकी हुई है| सरकार केमाथे पर भी चिंता की लकीरें है|
बिहार में वर्ष 2022 एक जून से 12 जुलाई तक 192. 9 मिलीमीटर बारिश हुई है| इसी समयावधि में 2021 में इसके दो गुना से भी अधिक 480 मिलीमीटर और वर्ष 2020 में करीब 389 मिलीमीटर बारिश हुई थी| इस तरह पिछले कुछ साल की तुलना में अब तक काफी कम बारिश हुई है|
अगर जून महीने की बारिश का पिछले कुछ समय के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करें ताे भी इस साल की स्थिति इतनी उत्साहजनक नहीं है| जून 2022 में सामान्य से एक फीसदी अधिक 172.3 मिलीमीटर , जून 2021 में सामान्य से 111 प्रतिशत अधिक 355 और जून 2020 में 309 मिलीमीटर बारिश हुई थी|
एक तरफ उत्तरी बिहार के कई जिले इन दिनों में बाढ़ की चपेट में हैं| लोग पलायन को मजबूर हैं| वहीं दक्षिण बिहार के कई जिलों में सूखे के हालात बने हुए हैं| प्रदेश में एक साथ बाढ़ और सुखाड़ के कारण फसलों का नुकसान हो रहा है| उधर, बक्सर में सुखाड़ से किसान परेशान हैं| भीषण गर्मी और चिलचिलाती धूप के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है| बक्सर जिले में कृषि कार्य प्रभावित हुआ है|
गौरतलब है कि जिले के एक लाख 47 हजार 463 रजिस्टर्ड किसान हैं जिनकी द्वारा 90 हजार हेक्टेयर भूमि में धान की रोपनी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है| अब तक अच्छी बारिश नहीं होने के कारण 1% खेतों में भी धान की रोपनी नहीं हो पाई है| किसानों की मानें तो जब खेतों में बिचड़ा ही नहीं बचेगा तो आगे चलकर अगर अच्छी बारिश होती भी है तब भी किसानों को भारी नुकसान होगा|