पारस अमरोही
युद्ध यूक्रेन और रूस में हो रहा है| पूरी दुनिया इस बात पर निगाहें लगाए हुए बैठी है कि भविष्य में गेहूं का बाजार कैसा होगा| दरअसल रूस दुनिया का सबसे बड़ा और यूक्रेन तीसरा बड़ा निर्यातक देश है | दुनिया मे भारत गेहूं के उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर है|
साल 2021-22 के दौरान रूस से 3.5 और यूक्रेन से 2.4 करोड़ टन गेहूं के निर्यात होने का अनुमान लगाया गया था | अब दोनों देशों के बीच युद्ध की वजह से गेहूं के निर्यात पर रोक की आशंका है | जाहिर है कि रूस और यूक्रेन से आपूर्ति ठप होने की वजह से दूसरे देशों को गेहूं निर्यात का मौका मिलेगा| इस मामले में भारत आगे रहेगा| भारत के पास गेहूं का पर्याप्त स्टॉक है| भारत गेहूं का दूसरा बड़ा उत्पादक है | मौजूदा समय में भारत के पास गेहूं की पर्याप्त भंडारण क्षमता है | यह निर्यात बढ़ाने में मददगार साबित हो सकता है 1 फरवरी तक देश के केंद्रीय पूल में 2.82 टन गेहूं का स्टॉक दर्ज किया गया है| इसके अलावा बाजार तथा किसानों में के पास भी पिछला स्टॉक पड़ा है| इस साल गेहूं की अच्छी फसल होने की उम्मीद है| अनुमान के अनुसार खेतों में तैयार हो रहे 11 करोड टन से ज्यादा गेहूं की उपज का अनुमान है| साल भर में भारत की अपनी खपत 10.5 करोड़ टन रहती है|
सरकारी दावों के अनुसार घरेलू खपत पूरी होने के बाद भारत के पास पर्याप्त मात्रा में जो गेहूं बचेगा उसे निर्यात करना संभव होगा| रूस और यूक्रेन जिन देशों को गेहूं का निर्यात करते हैं| उनमें कई बड़े खरीदार भारत के पड़ोस में ही हैं| साल भर में बांग्लादेश करीब 75 हजार टन गेहूं आयात करता है| हाल ही के दिनों में बांग्लादेश ने भारत से अपनी गेहूं की खरीद बढ़ाई है| ईरान भी भारत से बड़ी मात्रा में गेहूं शुरू से खरीदना है| वहां पर भी भारत के लिए गेहूं निर्यात की संभावना बढ़ गई है|
इसके अलावा पाकिस्तान और श्रीलंका भी अपने लिए रूस की गेहूं के बड़े आयातक हैं |इन पड़ोसी देशों में भी भारतीय गेहूं के लिए बाजार बढ़ सकता है| युद्ध की भीषण तबाही के बीच गेहूं भारत के लिए निर्यात की कुछ उम्मीद जगाता है|