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गंगोत्री सीट पर इस बार जोरदार तिकोना मुकाबला|

गंगेात्री विधानसभा के चुनाव चुनाव में अभी जनसंपर्क का दौड़ दौरा है और सभी राजनीतिक पार्टियों ने अपना एड़ी चोटी का जोर लगा रखा हर स्तर पर मतदाताओं को रिझाने के लिए हर स्तर पर मतदाताओं को रिझाने के लिए हर संभव प्रयास जारी है| उत्तराखंड बनने के बाद यह सीट राज्य की हॉट सीट कहीं जा रही है| गंगेात्री विधानसभा के चुनाव परिणाम से जुड़ा मिथक दो चार चुनावों से नहीं बल्कि तबसे कायम है, जब उत्तराखंड अलग राज्य नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश ही हुआ करता था|
छह दशकों से ज़्यादा समय से अगर कोई सीट मिथक बनी रहती है, तो खास हो ही जाती है| भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस विधानसभा को जीतने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर इसलिए ही लगाए हुए हैं| पूरी विधानसभा में पहली बार ऐसा माहौल है कि हर जगह समर्थक जोश मे नज़र आ रहे हैं| हर पार्टी ने यहां एक खास रणनीति बना रखी है और यहां साफ तौर पर मुकाबला त्रिकोणीय है|
उत्तरकाशी की गंगोत्री विधानसभा सीट का पूरा इतिहास आपको बताएं, आपको यह जानना चाहिए कि यहां मौजूदा चुनाव को लेकर क्या कुछ खास हो रहा है| कांग्रेस ने इस विधानसभा पर पूर्व विधायक पर पांचवी बार विश्वास जताया है और विजयपाल सजवाण को ही उम्मीदवार बनाया है| वहीं, भाजपा ने निवर्तमान विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद यहां नये चेहरे पर दांव खेला है, लेकिन यहां भाजपा अपनी रणनीतिक ताकत झोंक रही है| वहीं, आम आदमी पार्टी ने अपने सीएम चेहरे रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है|

भाजपा, कांग्रेस और आप की रणनीति?

भले ही नये चेहरे सुरेश चौहान पर भाजपा ने दांव लगाया है, लेकिन पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंच चुके हैं| यही नहीं, बीजेपी ने दिवंगत जनरल बिपिन रावत के भाई रिटायर्ड कर्नल विजय रावत को खास तौर से इस सीट पर कोठियाल के मुकाबले में प्रचार के लिए झोंक रखा है. कांग्रेस के स्टार प्रचारक यहां पहुंचे हैं, तो दिल्ली के कई मंत्री कोठियाल के लिए सभाएं कर चुके हैं| सभी मान रहे हैं कि इस सीट का मिथक महत्वपूर्ण है|
अलग राज्य नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश ही हुआ करता था | छह दशकों से ज़्यादा समय से अगर कोई सीट मिथक बनी रहती है, तो खास हो ही जाती है| भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी इस विधानसभा को जीतने के लिए एड़ी चोटी का ज़ोर इसलिए ही लगाए हुए हैं| पूरी विधानसभा में पहली बार ऐसा माहौल है कि हर जगह वोटर झूमते नज़र आ रहे हैं| हर पार्टी ने यहां एक खास रणनीति बना रखी है और यहां साफ तौर पर मुकाबला त्रिकोणीय है.
कांग्रेस ने इस विधानसभा पर पूर्व विधायक पर पांचवी बार विश्वास जताया है और विजयपाल सजवाण को ही उम्मीदवार बनाया है| वहीं, भाजपा ने निवर्तमान विधायक गोपाल रावत के निधन के बाद यहां नये चेहरे पर दांव खेला है, लेकिन यहां भाजपा अपनी रणनीतिक ताकत झोंक रही है| वहीं, आम आदमी पार्टी ने अपने सीएम चेहरे रिटायर्ड कर्नल अजय कोठियाल को यहां से चुनाव मैदान में उतारा है|

भाजपा, कांग्रेस और आप की रणनीति?

भले ही नये चेहरे सुरेश चौहान पर भाजपा ने दांव लगाया है, लेकिन पार्टी के राष्टीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस सीट पर चुनाव प्रचार करने पहुंच चुके हैं| यही नहीं, बीजेपी ने दिवंगत जनरल बिपिन रावत के भाई रिटायर्ड कर्नल विजय रावत को खास तौर से इस सीट पर कोठियाल के मुकाबले में प्रचार के लिए झोंक रखा है. कांग्रेस के स्टार प्रचारक यहां पहुंचे हैं, तो दिल्ली के कई मंत्री कोठियाल के लिए सभाएं कर चुके हैं| सभी मान रहे हैं कि इस सीट का मिथक महत्वपूर्ण है|

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