सूबे के पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह ने तीन नवम्बर को पशुपालन निदेशालय में वर्चुअल इटावा में बने प्रदेश के पहले भेड़-बकरी पालन प्रशिक्षण केंद्र का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि भेड़-बकरी के पालन की प्रदेश में बेहतर संभावनाएं हैं, जो किसानों व पशुपालकों की आय दोगुनी करने में सहायक होगा। इस केंद्र में इच्छुक लोगों को कारोबारी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
पशुधन मंत्री ने कहा, पशुपालकों को गुणवत्तायुक्त पशु प्रजनन सुविधाएं समय से उपलब्ध कराएं। इससे पशुपालकों की आय दोगुनी करने के प्रयासों को बल मिलेगा। मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि गोवंश संरक्षण मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में है। बीती एक नवंबर से शुरू निराश्रित गोवंश संरक्षण अभियान में कोई भी रियायत न बरती जाए।
पशुधन व दुग्ध विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. रजनीश दुबे ने कहा कि मैत्री के प्रोत्साहन व उनकी कौशल क्षमता वृद्धि के लिए सतत प्रयास किया जा रहा है। कृत्रिम गर्भाधान से अधिक उत्पादक व उन्नतिशील प्रजाति के पशुओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे किसानों एवं पशुपालकों की आय में त्वरित वृद्धि संभव है।
केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान (सीआईआरजी), मथुरा से बकरी पालन का कोर्स करने वालों आवेदकों की लम्बी कतार है। सरकारी संस्थान सीआईआरजी के अलावा देश में बकरी पालन की ट्रेनिंग देने वाले कई निजी संस्थान भी हैं।
आगरा, फरुर्खाबाद, मथुरा, अलीगढ़, हाथरस, इटावा, जिलों में लंबे कान वाली जमुनापारी बकरी को अच्छी नस्ल माना जाता है। केन्द्रीय पशुपालन मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक जमनापरी बकरियां पहले नंबर पर यूपी में 7.54 लाख, दूसरे पर मध्य प्रदेश 5.66 लाख, तीसरे पर बिहार 3.21 लाख, चौथे पर राजस्थान 3.09 लाख और पांचवें नंबर पर पश्चिम बंगाल में 1.25 लाख सबसे ज्यादा पाई जाती हैं। देश में दूध देने वाली कुल बकरियों की संख्या 7.5 लाख है।
हर राज्य और मौसम के हिसाब से आसानी से पलने वाली बकरियों की देश में 37 नस्ल हैं। बकरी के दूध और मीट का बाजार भी बड़ा हो चुका है।