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भारत में गेंहू की बुआई से पहले ही महंगी हुई रूसी खाद

डी-अमोनियम फॉस्फेट भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाली रासायनिक खाद है। इसमें नाइट्रोजन और फॉस्फोरस की अच्छी खासी मात्रा होती है। यह पोषक तत्व फसल की ग्रोथ, पौधों की सेहत और उनके रंग को सहारा देते हैं। डी-अमोनियम फॉस्फेट पैदावार बढ़ाने में मदद करता है। इसका फॉस्फोरस जड़ों का बढ़िया विकास करता है. पानी में आसानी से घुलने की वजह से भी किसान इसे इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।

रूसी कंपनियां डीएपी 80 डॉलर प्रति टन डिस्काउंट जितने सस्ते दाम पर दे रही थी। हालांकि अब वे 5 डॉलर का भी डिस्काउंट नहीं दे रही हैं। रूसी खाद उद्योग के एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल रूसी डीएपी करीब 570 डॉलर प्रति टन है। इतने ही दाम पर अन्य एशियाई विक्रेता भी खाद ऑफर कर रहे हैं।

वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने रूस से 43.5 लाख टन रासायनिक खाद खरीदी । सप्लाई के मामले में यह 246 फीसदी का उछाल था। इनमें सबसे ज्यादा हिस्सेदारी डीएपी, यूरिया और एनपीके खाद की थी। रूस की सस्ती खाद सप्लाई के भारतीय बाजार में चीन, मिस्र, जॉर्डन और यूएई की हिस्सेदारी कम हो गई।

बीते दो महीने से दुनिया भर में रासायनिक खाद के दाम ऊपर जा रहे हैं। भारतीय कंपनियां सर्दियों से पहले खाद का बड़ा स्टॉक जमा करती हैं। सर्दियों में भारत के बड़े हिस्से में गेंहू बोया जा जाता है। एक खाद कंपनी के मुताबिक डीएपी बहुत ज्यादा महंगी हो चुकी है। ऐसा ही हाल दूसरी खादों का भी है। जुलाई में यूरिया 300 डॉलर प्रति टन था. अब यह 400 रुपये प्रति टन है।Images Credit – Google

 

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