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कपास का रकबा घटा, कीमतों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा दाम

कपास किसानों के लिए नकदी की फसल है। कपास की फसल में सुंडी कीट के प्रकोप के चलते बीते साल किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। उपज घट गई थी, जिससे पंजाब समेत कुछ इलाकों के किसानों की लागत तक निकालने में मुश्किल पड़ गई थी। इसके चलते इस खरीफ सीजन में किसानों का कपास की खेती से मोहभंग दिखता है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अनुसार 2 सितंबर 2024 तक देशभर में 111.74 लाख हेक्टेयर में कपास की खेती की गई है, जो बीते साल की 123.11 लाख हेक्टेयर से करीब 11 लाख हेक्टेयर कम है।

भारतीय कपास मंडियों में तेजी जारी है। कपास की कीमतों में लगातार उछाल जारी है। थोक मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 3 फीसदी के ऊपर पहुंच गया है। सूरत, राजकोट की थोक मंडी में कपास की औसत कीमत 7715 से 7525 रुपये प्रति क्विंटल कीमत पहुंच गई है। जबकि, अमरेली मंडी में कीमत 7450 रुपये प्रति क्विंटल पहुंच गई है। इसी तरह चित्रदुर्गा मंडी में कपास की अधिकतम कीमत 12222 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गई है।

कुछ महीने पहले सरकार ने कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इज़ाफ़ा किया है। केंद्र सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए कपास की एमएसपी में 501 रुपये की बढ़ोत्तरी घोषित की है, जिसके बाद कपास की मीडियम स्टेपल कैटेगरी के लिए एमएसपी 7121 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि, कपास की लॉन्ग स्टेपल कैटेगरी की कीमत में 501 रुपये की बढ़ोत्तरी की गई है, जिसके बाद 7521 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी तय किया गया है।

कपास की औसत मंडी कीमतों और एमएसपी के बीच अंतर काफी अधिक बढ़ गया है। मंडी की औसत कपास कीमत की तुलना में 300-400 रुपये प्रति क्विंटल कपास का दाम एमएसपी से ऊपर चल रहा है। लगातार बारिश के मद्देनजर मौसम विभाग का अनुमान है कि इस साल सर्दी ज्यादा होगी। ऐसे में कपास के दामों में तेजी बनी रहेगी।

उल्लेखनीय है कि इस खरीफ सीजन में किसानों ने 11 लाख हेक्टेयर कम क्षेत्र में कपास की बुवाई की है। इसके अलावा कपास के बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में भारी बारिश ने बड़े पैमाने पर कपास की खेती को नुकसान पहुंचाया है। जबकि, पंजाब में किसानों ने बीते साल की तुलना में बुवाई कम की है।

 

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