मौसम पर सरकारी नियंत्रण नहीं होता है। मौसम विभाग की मानें तो इस बार अप्रैल और मई महीने में गर्मी बढ़ेगी। देश के बहुत से इलाकों में पीने के पानी का। भी संकट होगा। अभी से मौसम के मिजाज़ को देखते हुए सियासी पार्टियों और सरकारी अधिकारियों को यह चिंता सता रही है कि मतदान के लिए वोटर लूं और चिलचिलाती धूप के बीच मतदान केंद्र पर पहुंचेंगे।
जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव के मतदान की तिथि नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे सूरज ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए। दिनोंदिन बढ़ते तापमान में मतदान प्रतिशत बढ़ाना खासा चुनौतीपूर्ण रहेगा। फिलहाल अधिकतम तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। मतदान के दिन 37 डिग्री तक तापमान पहुंचने की संभावना जताई जा रही।
पिछला लोकसभा चुनाव 2019 में अप्रैल से मई के बीच हुआ था। इस दौरान अधिकतम तापमान 33°C रहा था। इस साल 2024 में 11 अप्रैल को 38°C अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। यानि पिछली बार के मुकाबले इसबार 5°C का इजाफा देखने को मिला है जो चिंताजनक है। मौसम वैज्ञानिक के अनुसार आगे भी तापमान बढ़ सकता है।
वर्ष 1991 तक लोकसभा चुनाव ठंड के मौसम में हुआ होता था। हालांकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने समय से पहले लोकसभा भंग कर दी थी जिसके बाद से गर्मियों में चुनाव होने लगे। देश के विशेषज्ञों का मानना है कि चुनाव के समय अधिक गर्मी या गर्म हवाएं चलने से मतदान प्रतिशत पर असर पड़ता है. लोग कम संख्या में घरों से बाहर निकलते है।
मौसम विभाग ने बताया है कि अगले हफ्ते से ही देश के कई राज्यों में तापमान 2 से 5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। इसका अधिक प्रभाव राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, मध्यप्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ में देखने को मिलेगा। इस दौरान 20 दिन के लिए लू का एक भयानक दौर भी चल सकता है।यानी भयानक गर्मी की तैयारी कर लीजिए। इस बार राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा में इसी महीने यानी अप्रैल में 20 दिन तक लू चलेगी। भयानक गर्म हवाओं का सामना करना पड़ेगा। इसके बाद जून तक पूरे देश का करीब 85% हिस्सा आग में झुलसेगा। पिछली साल यह आंकड़ा 60% था।
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