केरल फीड्स लिमिटेड (केएफएल) ने केरल राज्य में पांच टन मक्का के उत्पादन की सुविधा प्रदान की है | इसके तहत केएफएल ने किसान को उच्च उपज वाले बीज और तकनीकी सहायता प्रदान की है | दरअसल, मोटा अनाज पशु चारा बनाने में इस्तेमाल होने वाला एक प्रमुख घटक है | वहीं, त्रिशूर में केएफएल की उत्पादन ईकाई से 18 किमी दूर स्थित एक खेत में इसकी खेती की गई थी |
मक्के की कीमतों में हालिया तेजी से वृद्धि ने केएफएल को स्थानीय किसानों को फसल उगाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रेरित किया है | वहीं, मध्य प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और कर्नाटक में मक्के की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है | पीएसयू ने मक्का उत्पादक किसानों को ट्रेनिंग देने के लिए दिल्ली स्थित भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान (IIMR) से अनुबंध किया है | वहीं अन्नामनदा के सीए राजन ने अपने साढ़े तीन एकड़ के खेत में मक्का की खेती शुरू की है| इससे पहले वो धान उसमें धान की खेती करते थे |
बवाई के साठ दिनों के भीतर मक्का में फूल आना शुरू हो जाता है | मक्के का तना मवेशियों के लिए अच्छा चारा है | यह हमें अतिरिक्त आय देता है|