फसल पकने के बाद भी किसानों के सामने अनेक समस्याएं रहती है।
जैसे समय पर कटाई, उचित मशीनों का प्रयोग, सही जगह फसलों का भण्डारण तथा फसलों को कीटो से बचाना।
कटाई के बाद उनका प्रबंधन एव भंडारण की जानकारी की कमी का होना।
भंडारण करने से पहले गेहूं को अच्छी तरह से सूखा लें। अनाज में नमी नहीं होनी चाहिए। यदि गेहूं में अधिक नमी होगी तो कीड़े और फंगस लग जाता है। आमतौर पर बरसात के मौसम में गेहूं में सुरसी, खपरा, डोरा व जाल वाले कीड़े लगते हैं। ऐसा इसलिए होता है कि बारिश के मौसम में अधिक नमी होती है और इससे गेहूं नरम हो जाता है। जब गेहूं नरम होगा तो कीड़े उसको आसानी से काट लेते हैं। इसलिए बारिश में मौसम में अधिक कीड़े लगते हैं।
गेहूं का भंडारण करने से पहले लोहे की टंकी को चार-पांच दिन तपती धूप में रखें। धूप में रखने से टंकी में मौजूद कीड़े नष्ट हो जाते हैं। जानकारों का कहना है कि जहां पर गेहूं का भंडारण किया जाना है कि उसके पास नमी न हो। यदि नमी होगी तो गेहूं खराब हो जाएगा। संभव हो सके तो गेंहू का भंडारण मकान से अलग करें। अगर ऐसा संभव न हो तो अनाज का स्टॉक एक कोने में करें।
एक किलो नीम की पत्तियों को छाया में सुखाकर भंडार करने से पहली टंकी की तली में बिछाना चाहिए। इससे गेहूं खराब नहीं होगा। यह तरीका कम मात्रा में गेहूं को भंडारित करने का है।
अगर पहले ही गेहूं में कीड़ा लगा हो तो एल्यूमिनियम फॉस्फाइड की 3 गोली प्रति 10 कुंतल बीज पर उपयोग कर सकते हैं।
कभी भी पुरानी बोरियों या कुठला इत्यादि को बिना उपचारित किए भंडारण के लिए उपयोग न करें| यदि सम्भव हो तो नई बोरियों का इस्तेमाल करें| यदि भंडारण में पुराने बोरों का प्रयोग करना है तो इन्हें एक प्रतिशत मैलाथियान के घोल में 10 मिनट तक डुबो दें और सुखाकर प्रयोग करें। पुराने गेहूं को नए भंडारित गेहूं के साथ कदापि न रखें।
भंडारण के लिए प्रयोग किए जाने वाले गोदाम, लोहे की टंकी या वायु रोधी कवर में किसी भी प्रकार की दरार या छेद को भंडारण से पूर्व ही बंद कर लें ताकि संक्रमण से बचा जा सके।
एल्युमिनियम फॉस्फाइड, चूहे दानी या एंटी कगुलेंट्स का प्रयोग करें।