पांचवें चरण में जिन 11 जिले की 60 सीटों पर चुनाव होने हैं उनमें गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाला अमेठी जिला है तो सुल्तानपुर, अयोध्या, बाराबंकी जैसे अवध के जिले हैं|
इसी चरण के मतदान में तराई बेल्ट के बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जैसे अहम जिले की सीटें है| इसके अलावा प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिलों की सीटों के साथ-साथ बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें शामिल हैं|
पांचवें चरण की जिन 60 विधानसभा सीटों पर चुनाव पर चुनाव हो रहे हैं, उनमें 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी और अपना दल गठबंधन का कब्जा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 60 सीटों में से बीजेपी ने 50 सीटें जीती थी, जबकि के खाते में महज 5 सीटें मिली थी| इसके अलावा कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं, अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी तो दो सीटों पर निर्दलीय ने जीती थी| बीजेपी गठबंधन के पास 52 सीटें है तो बसपा यहां खाता भी नहीं खोल सकी थी|
चुनाव के इस चरण के चुनाव में योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्रियों की भी अग्निपरीक्षा है तो कुंडा में राजा भैया के लिए इस बार चुनाती है| सूबे के बदले हुए सियासी समीकरणों में बीजेपी के सामने पिछली बार की तरह नतीजे दोहराना आसान नहीं दिख रहा है तो सपा गठबंधन को बेहतर नतीजे की उम्मीद दिख रही है
ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने अमेठी में है, जहां उसके मजबूत प्रत्याशी को मशक्तत करनी पड़ रही है|
सपा ने इस बार लालजी वर्मा, राम अचल राजभर और राम प्रसाद चौधरी जैसे बड़े कुर्मी नेताओं को पार्टी में शामिल किया है। सपा का जाति जनगणना का वादा भी इन पिछड़ी जाति के मतदाताओं को रिझाने में काम आ सकता है।
इसके अलावा इस क्षेत्र में पासी समुदाय भी है, जो अवध क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी दलित कम्युनिटी है। बीजेपी ने पिछले चुनाव में पासी वोटरों में अच्छी-खासी पैठ बना ली थी। यही कारण था कि अवध क्षेत्र में बीएसपी शून्य पर पहुंच गई थी। बीजेपी इलाके में पासी तथा अन्य दलित समुदायों पर काफी निर्भर रहेगी।