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ओडिशा : बिजली के मीटरों को लेकर नाराज़ किसानों का 26 से आंदोलन का ऐलान
ओडिशा : बिजली के मीटरों को लेकर नाराज़ किसानों का 26 से आंदोलन का ऐलान

ओडिशा : बिजली के मीटरों को लेकर नाराज़ किसानों का 26 से आंदोलन का ऐलान

पश्चिमी ओडिशा के बरगढ़ जिले में 15,000 से ज़्यादा किसानों ने स्मार्ट मीटर लगाने के खिलाफ प्रदर्शन किया है. किसानों ने अपनी मर्जी से अपने घरों और खेतों में लगे स्मार्ट मीटर को उखाड़कर पद्मपुर और दूसरे ब्लॉक में टाटा पावर के दफ्तर के सामने रख दिया है. बरगढ़ और पश्चिमी ओडिशा के आस-पास के जिलों में स्मार्ट मीटर का बहिष्कार एक व्यापक आंदोलन बन गया है.

ओडिशा में प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहिष्कार का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसको लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने पश्चिमी ओडिशा के बरगढ़ जिले के किसानों के बिजली वितरण के निजीकरण के बड़े संघर्ष में अपना पूर्ण समर्थन दिया है। इन स्मार्ट मीटरों को उखाड़कर टाटा पावर को सौंप दिया गया है। केंद्र सरकार की ओर से 9 दिसंबर 2020 को संयुक्त किसान मोर्चा के साथ बिजली निजीकरण विधेयक को लागू करने से पहले चर्चा करने के लिए एक समझौता किया गया था। इसके खिलाफ जाकर टाटा द्वारा प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है। एसकेएम ने खेती में लगे परिवारों को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली देने की मांग की है।

मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली ओडिशा की भाजपा सरकार द्वारा बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ किसानों के शांतिपूर्ण आंदोलन के दमन की कड़ी निंदा की है। किसानों का आरोप है कि ओडिशा में पहली बार सत्ता में आई भाजपा ने इस आंदोलन के प्रति दमनकारी रवैया अपनाया है। किसान नेता रमेश महापात्रा को एक नोटिस जारी किया गया है, जिसमें उन्हें ‘आदतन अपराधी’ कहा गया है। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि पुलिस द्वारा उनके खिलाफ एफआईआर किसानों द्वारा स्वेच्छा से स्मार्ट मीटर का बहिष्कार करने के मामलों में दर्ज की गई है।

उल्लेखनीय है कि इस नोटिस को रद्द करने के लिए कटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। अदालत ने ओडिशा सरकार को नोटिस जारी किया है. बरगढ़ जिला बार एसोसिएशन और कटक हाईकोर्ट बार एसोसिएशन किसान आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। एसकेएम ने मुख्यमंत्री से किसान नेता रमेश महापात्रा और अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज सभी झूठे मामलों को तुरंत वापस लेने और अपने जायज मुद्दों के लिए आंदोलन कर रहे किसानों के साथ बातचीत शुरू करने की मांग की है।

एसकेएम ने कहा है कि बिजली का निजीकरण अब किसानों और आम जनता के शोषण का एक और हथियार बन गया है। जिन क्षेत्रों में न्यूनतम समर्थन मूल्य, फसल बीमा और सिंचाई के मुद्दों पर किसानों का लंबे समय से व्यापक आंदोलन चल रहा था। उन क्षेत्रों में प्रभावशाली तरीके से बिजली के नाम पर लूट के खिलाफ और प्रीपेड स्मार्ट मीटर के बहिष्कार के लिए संगठित रूप से व्यापक और अहिंसक प्रतिरोध आंदोलन चल रहा है।

पश्चिम ओडिशा के पदमपुर में ‘संयुक्त कृषक संगठन’ द्वारा ‘कृषक गर्जन समावेश’ का आयोजन किया गया था। एसकेएम का प्रतिनिधित्व करते हुए पी कृष्णप्रसाद, अफलातून और राजेंद्र चौधरी इस सार्वजनिक बैठक में शामिल हुए। संयुक्त किसान मोर्चा ने बिजली के निजीकरण के खिलाफ संघर्ष कर रहे किसानों से अपील की है कि वे 26 नवंबर 2024 को एसकेएम और जेपीसीटीयू द्वारा आहूत संयुक्त मजदूर-किसान विरोध प्रदर्शन में पूरे देश के सभी जिलों में शामिल हों।

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