ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी पशुपालन विशेष माना जाता है, क्योंकि ये कई लोगों के लिए कमाई का मुख्य साधन होता है। अधिकतर किसान खेती के साथ-साथ पशुपालन करते हैं। लंबे इंतजार के बाद पशुपालकों के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने पशुधन बीमा योजना में क्रियान्वित किया है। योजना के तहत प्रीमियम का 90 प्रतिशत अनुसूचित/बीपीएल वर्ग और 75 प्रतिशत सामान्य वर्ग के पशुपालकों को अनुदान दिया जाएगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदेश सरकार ने गाय के लिए 50 हजार रुपये और भैंस के लिए 60 रुपये अधिकतम बीमा माना है। ऐसे में इस योजना के तहत अनुसूचित जाति और बीपीएल वर्ग के पशुपालक प्रीमियम का केवल 10 प्रतिशत यानी 156 रुपये देकर गाय और 187 रुपये देकर भैंस का बीमा करावा पाएंगें। वहीं सामान्य वर्ग में आने वाले पशुपालक प्रीमियम का 25 प्रतिशत यानी 400 रुपये देकर गाय और 465 रुपये देकर भैंस का एक साल के लिए बीमा करा सकेंगे। वहीं प्रीमियम का शेष बचा पैसा केंद्र और राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। पशुधन बीमा योजना के तहत पशु की मौत या दिव्यांग होने की स्थिति में पशुपालक बीमा धनराशि प्राप्त कर सकेंगे।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालकों को सशक्त और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए बीमा योजना आरंभ की है। सरकार के इस प्रयास से राज्य में पशुपालन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद की जा रही है। पशुपालक अपने पशु का 1,2 या 3 वर्ष के लिए बीमा करा सकते हैं। हालांकि एक पशुपालक अधिकतम पांच पशुओं का ही बीमा करावा सकता है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने दि न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड के साथ पशुओं का बीमा के लिए अनुबंध किया है. बीमा कराने के लिए सरकार से प्रत्येक जिलो को लक्ष्य दिया गया है। बीमा होने के बाद प्रत्येक पशुपालक को पॉलिसी रसीद मिलेगी, जिसमें बीमा कंपनी के नोडल अफसर का नंबर होगा। पशुपालक को पशु के साथ हादसा होने पर सबसे पहले नोडल अधिकारी को सूचना देनी होगी।
प्राप्त जानकारी अनुसार पशुओं का बीमा करवाने के लिए सबसे पहले पशुपालकों को अपने जिले के आस पास के पशु चिकित्शालय में बीमा करवाने की पूरी जानकारी लेनी होगी। जिसके बाद वहां पशुओं का स्वस्थ्य जाँच किया जायेगा।इसके बाद पशुओं के स्वस्थ्य होने पर हेल्थ सर्टिफिकेट दिया जायेगा। बीमा की प्रक्रिया के दौरान पशुओं के कान में एक टैग लगा दिया जाता है। इसके बाद पशुपालकों को पशुओं की बीमा पॉलिसी जारी किया जाता है।