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नैनो यूरिया के एक बोतल में 9.2 ग्राम नाइट्रोजन है, जबकि पौधे की जरूरत 20.7 ग्राम नाइट्रोजन की है। दावों और व्‍यवहार के बीच नाइट्रोजन का जो फर्क है, वह कहां से पूरा होगा, इस पर विस्‍तार से बताने की जरूरत है क्‍योंकि गेहूं दूसरी दलहनी फसलाें की तरह वायुमंडल से नाइट्रोजन नहीं ले पाता है। इससे उत्‍पादन में गिरावट होगी।
नैनो यूरिया के एक बोतल में 9.2 ग्राम नाइट्रोजन है, जबकि पौधे की जरूरत 20.7 ग्राम नाइट्रोजन की है। दावों और व्‍यवहार के बीच नाइट्रोजन का जो फर्क है, वह कहां से पूरा होगा, इस पर विस्‍तार से बताने की जरूरत है क्‍योंकि गेहूं दूसरी दलहनी फसलाें की तरह वायुमंडल से नाइट्रोजन नहीं ले पाता है। इससे उत्‍पादन में गिरावट होगी।

इफको नैनो यूरिया को खेती के लिए ‘खतरनाक’ क्यों बता रहे वैज्ञानिक !

इफको नैनो यूरिया नोटिफाइड किया है. कुल जमा इफको नैनाे यूरिया को फर्टिलाइजर उत्पादन क्षेत्र में क्रांतिकारी अविष्‍कार माना जा रहा है. इसके पीछे तर्क और दावे ये हैं कि इफको नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल एक बोरी यूरिया का काम करेगी।

कहा जा रहा है कि खाद खपत में इस बदलाव से जहां किसानों की लागत कम होगी तो वहीं भारत सरकार के राजस्‍व पर फर्टिलाइजर सब्‍सिडी का बोझ भी कम होगा। साथ ही इसे फसलों के लिए भी सुरक्षित बताते हुए उत्‍पादन पर असर पड़ने का दावा किया जा रहा है। लेकिन इफको नैनो यूरिया को लेकर किए जा रहे इन दावों से कुछ कृषि वैज्ञानिक असंतुष्‍ट है।

इफको नैनो यूरिया को एक बोरी यूरिया के बारे में बताया जा रहा है, लेकिन चौधरी चरण कृषि विश्‍वविद्यालय हरियाणा से सेवानिवृत मृदा वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र कुमार तोमर इफको के इन दावों को खारिज करते हैं.

डा तोमर कहते हैं कि पौधों को अपने विकास के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है। वह कहते हैं कि इफको नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल में तकरीबन 9 ग्राम नाइट्रोजन है। अगर पौधे नाइट्रोजन की इस पूरी मात्रा को अवशोषित भी कर लें तो 368 ग्राम अनाज का उत्‍पादन करेगा। अगर इसे गेहूं के हिसाब से देखे तो 240 रुपये की नैनो यूरिया की एक बोतल 7 रुपये मूल्‍य के गेहूं का उत्‍पादन करने में सक्षम है।

दानेदार यूरिया के एक बैग से एक बोतल नैनो यूरिया की तुलना की जा रही है, लेकिन इन दावों के इतर व्‍यवहार में फर्क समझना होगा। वह बताते हैं कि 45 किलो यूरिया के एक बैग में 20 किलो नाइट्रोजन होती है, जिससे 5 क्‍विंटल गेहूं का उत्‍पादन होता है। तो वहीं एक बोतल नैनो यूरिया में 368 ग्राम गेहूं का उत्‍पादन होगा। ऐसे में बताना होगा कि ये फर्क कैसे दूर होगा। नैनो यूरिया के एक बोतल में 9.2 ग्राम नाइट्रोजन है, जबकि पौधे की जरूरत 20.7 ग्राम नाइट्रोजन की है। दावों और व्‍यवहार के बीच नाइट्रोजन का जो फर्क है, वह कहां से पूरा होगा, इस पर विस्‍तार से बताने की जरूरत है क्‍योंकि गेहूं दूसरी दलहनी फसलाें की तरह वायुमंडल से नाइट्रोजन नहीं ले पाता है। इससे उत्‍पादन में गिरावट होगी।

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