सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धान की पराली जलाने और वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले किसानों और मजदूरों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज करना समाधान नहीं है। से किसानों को उनकी फसलों के लिए एमएसपी रोकने पर विचार करना चाहिए।
दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में वायु प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि प्रदूषण कम करने के लिए तुरंत फैसले करने होंगे। धान की पराली जलाकर वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले किसानों और मजदूरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करना समस्या से निपटने का समाधान नहीं है। जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि सरकार को ऐसे किसानों को उनकी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) एक साल के लिए रोकने पर विचार करना चाहिए।
खेतों में आग लगना बंद होनी चाहिए। सभी राज्य जिम्मेदार हैं। मुख्य सचिवों से मिलकर समाधान निकालें। पीठ दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता और पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने से संबंधित मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा, आप एफआइआर दर्ज कराएंगे, फिर वापस ले लेंगे। प्रोत्साहन आधारित या दंडात्मक उपाय भी होने चाहिए।
पीठ ने कहा कि किसान समाज का हिस्सा हैं। उन्हें जिम्मेदार होना होगा। वायु प्रदूषण से लोगों को मरने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। पंजाब के महाधिवक्ता गुरमिंदर सिंह ने तर्क दिया कि राज्य सरकार इस साल खेतों में आग को काफी हद तक कम करने में कामयाब रही है। पीठ ने कहा कि यह अब भी जारी है। मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में पश्चिम विक्षोभ के असर से गुरुवार रात शुरू हुई बारिश रुक-रुक कर शुक्रवार शाम तक जारी रही। बारिश के बाद कुछ देर के लिए आसमान साफ नजर आया। विशेषज्ञों का कहना है कि बरसात के बाद हवा की गति बढऩे से प्रदूषक तत्व बिखर जाएंगे। इससे वायु प्रदूषण में कमी के आसार हैं। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बताया कि दीपावली के बाद प्रदूषण के हालात की समीक्षा की जाएगी। एक्यूआइ फिर बढऩे पर ऑड-ईवन लागू करने पर विचार किया जा सकता है।