जिले में करीब 1200 छोटे-बड़े किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। सामान्य स्थिति में खेतों में कम से कम 5 से 7 लोगों को रोजगार मिल जाता है। इसके अलावा परिवहन और बाजार के 3 से 5 लोगों को भी रोजगार का अवसर मिलता है। इन सभी को मिला दें तो एक किसान के माध्यम से कम से कम 10 लोगों को रोजगार मिलता है। इस तरह फूलों के कारोबार से जिले के करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलता है।
पिछले सीजन में इन किसानों ने अलग-अलग वेरायटी के 4098 मीट्रिक टन से ज्यादा फूलों की पैदावार ली थी। इनमें गुलाब, रजनीगंधा जैसी कीमती और डिमांड वाले फूल भी हैं। सामान्य स्थिति में इन फूलों की बिक्री से किसानों और व्यापारियों के हाथों में 25 से 30 करोड़ आता है। किसानों की मानें तो धान की तुलना में कम खर्च और मेहनत के चलते इससे काफी बचत हो जाती है।
जिले में स्थानीय बगीचों के साथ नागपुर व कोलकाता से भी फूल मंगाये जाते हैं। पिछले कुछ सालों में इन शहरों पर निर्भरता कम हुई है। अब गेंदा और गुलदाउदी की पूर्ति स्थानीय बगीचों (बाडिय़ों) से हो जाती है। इसके अलावा रायपुर, राजनांदगांव, कवर्धा में भी इन फूलों की सप्लाई होती है। बड़े शहरों से गुलाब व रजनीगंधा जैसे कीमती फूल बहुतायत में आते हैं।
कई किसान ऐसे हैं जिन्होंने धान की खेती छोड़कर फूलों की खेती अपनाई है। इनमें मोहलाई, चंदखुरी, महमरा, बेलौदी, भेड़सर, डांडेसरा, फेकारी, सेलूद के किसान शामिल हैं। परंपरागत पद्यति के अलावा कई किसान पॉली हाउस में भी फूलों की खेती कर रहे हैं।
बाजार में फूलों की ज्यादा मांग और आसानी से बिक्री से किसानों की आय में इजाफा हुआ है। जिले में करीब 1600 एकड़ में फूलों की खेती होती है। इससे हर साल करीब 25 करोड़ का कारोबार होता है। जिले में करीब 45 हजार हेक्टेयर में उद्यानिकी फसलों की खेती होती है। इनमें 638 हेक्टेयर यानी 1595 एकड़ फूलों की खेती का भी शामिल है। जिले के करीब 1200 किसान फूलों की खेती कर रहे हैं।