देश में उत्तर प्रदेश आलू उत्पादन करके मामले में सबसे आगे है। सूबे के किसानों का आलू दक्षिणी राज्यों के अलावा खाड़ी देशों को भी भेजा जाता है। उत्तर प्रदेश के आगरा, फरुर्खाबाद, हापुड़, अमरोहा, अलीगढ़ जिलों में आलू किसान आलू की उन्नत किस्म की खेती करते हैं।
आलू की उन्नत खेती को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों को अच्छी किस्म का बीज मुहैया कराने की पहल की है। उद्यान विभाग आलू उत्पादक किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए आलू बीज की विक्रय दरें को निर्धारित कर दिया है। इस बार पूरे प्रदेश में 42728 कुंटल आलू के बीज किसानों को निर्धारित दरों पर मुहैया होगा।
इस बार पूरे प्रदेश में 42728 कुंटल आलू के बीज किसानों को निर्धारित दरों पर विक्रय होगा। उद्यान विभाग के द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार आधारित प्रथम आलू 3325 रुपए प्रति कुंतल , आधारित द्वितीय आलू 2915 रुपए प्रति कुंतल और ओवर साइज (आधारित प्रथम) 2655 रुपए प्रति कुंतल, ओवर साइज ( द्वितीय ) ₹2600 प्रति कुंतल के दर से किसानों को बिक्री होगी। उद्यान विभाग के द्वारा सफेद एवं लाल आलू की प्रजातियां की विक्रय दरे एक समान रखी गई है।
आलू की उन्नत किस्म के द्वारा सरकार उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। आलू के लिए कुफरी बहार, चिपसोना, कुफरी सूर्या, कुफरी ख्याति, कुफरी भोग, कुफरी गंगा और कुफरी बादशाह जैसी किस्मों की बिक्री होगी। आलू की यह उन्नत किस्म है जिनका उत्पादन भी काफी ज्यादा है। चिप्सोना आलू की खेती करने वाले किसानों को दूसरी प्रजाति के आलू के मुकाबले अच्छा भाव मिलता है।
किसानों को नगद मूल्य पर आधारित प्रथम, द्वितीय तथा प्रमाणित आलू बीज उपलब्ध कराया जा रहा है। किसान जनपद उद्यान अधिकारी से नगद मूल्य पर बीज की खरीद कर सकते हैं। आलू का बीज आधारित प्रथम ,आधारित द्वितीय तथा प्रमाणित श्रेणी का है। इससे आगामी वर्षों के लिए भी बीज तैयार किया जा सकता है। उद्यान मंत्री ने राजकीय शीत गृह अलीगंज लखनऊ एवं मोदीपुरम मेरठ से आलू बीज निकासी एवं जनपदों तक ढुलाई व्यवस्था नियंत्रण एवं आलू बीज के सड़न, संकुचन के निर्धारण एवं नियंत्रण हेतु उप निदेशक उद्यान की अध्यक्षता में निगरानी समिति का भी गठन किया है।
बाकी राज्यों के मुकाबले कुछ कृषि जिंसों में उत्तर प्रदेश की उत्पादन क्षमता काफी अच्छी है। राज्य के किसान ना सिर्फ गन्ना, गेहूं और बागवानी फसलों का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं, बल्कि यहां से आलू का भी उम्मीद से कहीं ज्यादा उत्पादन हासिल हो रहा है। इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल है, जहां की मिट्टी और जलवायु और उत्पादन के लिए सबसे अनुकूल मानी जाती है। इस लिस्ट में बिहार का नाम तीसरे नंबर पर है। गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब के किसान भी भरपूर मात्रा में आलू उत्पादन ले रहे हैं।