राजस्थान में पुष्कर का धार्मिक महत्व है। मरुभूमि का यह इलाका देश की विभिन्न मंडियों में रसीले जामुन की सप्लाई भी करता था है। यहां से रोजाना करीब सत्तर ट्रक भरकर भेजा जाता है। जामुन वाले गांवों की पट्टी कारोबारियों के बीच हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश तक में चर्चा में है।
अजमेर जिले की पीसांगन पंचायत समिति की चार ग्राम पंचायतों के 18 गांव में जामुन के सबसे अधिक बाग हैं। इन गांवों में गनाहेड़ा, मोतीसर, बागोलाई और देवनगर जैसे गांव शामिल हैं। जामुन के बगीचों के ज्यादातर मालिक किसान ही हैं।
ये लोग पुश्तैनी रूप से जामुन की किसानी कर रहे हैं।जामुन के इन्हीं बगीचों के कारण यहां के किसान बाकी जगहों में पारंपरिक खेती करने वाले किसानों से काफी संपन्न हैं। अगर मौसम साथ दे तो यहां पीक सीजन में ये देशभर के लिए रोजाना करीब 70 छोटे-बड़े ट्रक जामुन के सप्लाई किए जाते हैं।
बरसात के सीजन किसानों की निगाहें मानसून के बादलों पर रहती है लेकिन पुष्कर में किसान आपने पेड़ों पर फसल देखते हैं।
जामुन का सीजन 20 जून के आसपास शुरू हो जाता है। इस दौरान गनाहेड़ा और आसपास के 17 अन्य गांवों से रोजाना करीब 70 छोटे –बड़े ट्रक जामुन सप्लाई होता है। ये ट्रक अजमेर, जयपुर, भीलवाड़ा और अन्य राजस्थान के शहरों के अलावा दिल्ली, मुंबई और कई राज्यों तक भेजे जाते हैं। Images credit – google