लाहौल के खेतों में 60 रुपये और किन्नौर में 80 से 100 रुपये किलो बिकने वाले मटर के दाम मैदानी इलाकों में पहुंचते ही आसमान छू रहे हैं। ऊना पहुंचते ही मटर 180 रुपये किलो बिक रहा है। मंडियों में थोक भाव 150 रुपये प्रतिकिलो तो दुकानों पर हरा मटर 180 रुपये प्रतिकिलो तक बिक रहा है। इस समय लाहौल-स्पीति के काजा क्षेत्र से हरा मटर उत्तर भारत की विभिन्न मंडियों तक पहुंच रहा है। परिवहन खर्च में वृद्धि के कारण इसके अधिक दाम वसूले जा रहे हैं। हालांकि दिसंबर में पंजाब, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों से हरे मटर की सप्लाई शुरू होने से इसके भाव में कमी की उम्मीद है। प्रदेश के साथ पंजाब, दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से ही हरे मटर की सप्लाई होती है।
इस बार पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की मार के कारण मटर का उत्पादन कम रहा। मंडियों में सब्जी की कम आमद का सीधा असर कीमतों पर हो रहा है। खासकर हरा मटर 180 रुपये प्रतिकिलो तक पहुंच गया। मटर की कीमत में आया भारी उछाल रसोई का बजट बिगाड़ रही है। ढाबों और आयोजनों के लिए भी फ्रोजन मटर की खरीद की जा रही है।
हिमाचल लाहौल-स्पीति से हरा मटर सीधा पंजाब की मंडियों में पहुंचता है। इसके बाद वहां से व्यापारी मटर की सप्लाई ऊना और अन्य हिस्सों में करते हैं। लाहौल-स्पीति से मटर लाकर पंजाब पहुंचने में एक गाड़ी का किराया करीब 18,000 रुपये आता है। एक गाड़ी में 35 से 40 क्विंटल सब्जी लोड होती है। मैदानी क्षेत्रों में मटर पहुंचने में काफी खर्च आ रहा और इसका असर मटर के भाव पर पड़ा।
लाहौल की चंद्रा घाटी में हरा मटर निकल रहा है। शुक्रवार को खेतों में ही 60 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिका है। लाहौल में व्यापारी किसानों से खेतों में ही मटर की खरीद करते हैं। उधर, किन्नौर की बात करें तो वहां किसानों को खेतों में ही हरे मटर के 80 से 100 रुपये प्रतिकिलो तक दाम मिल रहे हैं।
दिसंबर माह में मंडियों तक पहुंचने वाले मटर का अधिकांश हिस्सा पंजाब के किसान पैदा करते हैं। पंजाब में भी इस बार उत्पादन कम होने से मटर के दाम भी अधिक ज्यादा होने की उम्मीद है।
बरसात के चलते दिसंबर महीने तक हरा मटर महंगा मिलता है। पंजाब से सप्लाई आते ही इसके दाम गिर जाते हैं। हालांकि, इस साल पंजाब में बाढ़ से कृषि प्रभावित हुई है। ऐसे में बीते साल के मुकाबले दिसंबर में भी हरे मटर के दाम ज्यादा रह सकते हैं। images credit – google