उत्तर प्रदेश में तीन महीने बीतते ही चीनी मिलों में फिर नया पेराई सत्र शुरू हो जायेगा। प्रदेश में 148 गन्ना चीनी मिल हैं।उत्तर प्रदेश सरकार ने पेराई सत्र 2022-23 के लिए राज्य की विभिन्न चीनी मिलों पर किसानों का 5,664 करोड़ रुपये का गन्ना बकाया भुगतान लंबित है। बकाया भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है।
बीती 9अगसत को गन्ना विकास मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने राज्य विधानसभा में सदस्य अजय कुमार के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा, “24 जुलाई तक की जानकारी के अनुसार, किसानों का 5,664 रुपये का गन्ना बकाया भुगतान के लिए लंबित है।”
उन्होंने कहा कि किसानों का भुगतान सुनिश्चित करने के लिए नियम-कायदे मौजूद हैं और तदनुसार कार्रवाई की जाती है। उन्होंने कहा कि बकाया के लिए चीनी मिलों को इस साल 21 अप्रैल, 19 मई और 22 जून को नोटिस जारी किए गए हैं।
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसानों द्वारा गन्ना भुगतान के लिए विरोध प्रदर्शन भी जा रही है और किसानों का कहना भी गन्ना मूल्य समय से नहीं मिलने से उन्हें आर्थिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वही सरकार का कहना है की बकाया गन्ना भुगतान सुनिश्चित करने के लिए वह कार्रवाई कर रही है।
मुजफ्फरनगर की खतौली चीनी मिल ने देश में सबसे ज्यादा गन्ना पेराई का रिकाॅर्ड बनाया हैं। नौ मई यानि पेराई सत्र की समाप्ति तक चीनी मिल ने दो करोड़ 48 लाख 50 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई की है। बिजनौर की धामपुर चीनी मिल दूसरे और पीलीभीत चीनी मिल तीसरे स्थान पर है।
त्रिवेणी शुगर मिल खतौली पेराई क्षमता में देश की बड़ी चीनी मिलों में गिनी जाती है। चीनी मिल की पेराई क्षमता एक लाख 60 हजार क्विंटल प्रतिदिन हैं।चीनी मिल के पेराई सत्र का समापन नौ मई को हुआ। नौ मई तक चीनी मिल ने दो करोड़ 48 लाख 50 हजार क्विंटल गन्ने की पेराई की हैं। चीनी मिल ने 24 लाख 70 हजार क्विंटल चीनी का उत्पादन किया हैं। इथेनॉल के लिए 12.30 लाख क्विंटल बी हैवी शीरा बनाया हैं। पेराई, चीनी उत्पादन और इथेनॉल उत्पादन सभी में एक रिकाॅर्ड कायम किया है।PHOTO CREDIT – google.com