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ओडिशा में कमजोर मानसून की वजह से 35 लाख हेक्टेयर में ही खेती, भरपूर बरसात नहीं

धान की खेती ओडिशा में किसानों की पसंदीदा फसल है। यहां किसान धान की खेती के लिए बरसात पर ज्यादा निर्भर हैं।
ओडिशा में धान की खेती का रकबा केवल 2.89 लाख हेक्टेयर है। यह आंकड़ा 14 जुलाई तक का है। पिछले साल तक इसी अवधि के दौरान 5.44 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी थी और साल 2021 में यह क्षेत्रफल 9.05 लाख हेक्टेयर था।

इस साल ओडिशा में मॉनसून की कमजोर रही । हालांकि पिछले एक सप्ताह से यहां पर पर्याप्त बारिश होने से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। इतना ही नहीं बारिश होने के कारण अब राज्य में धान की खेती का रकबा बढ़ने की उम्मीद की गई है। धान की बुवाई के क्षेत्र में पिछले सप्ताह 63 फीसदी की कमी थी जबकि इस सप्ताह यह मामूली सुधार के साथ 53 फीसदी हो गया है। ह यह स्थिति उत्साहित करने वाली नहीं हैं ,पर अभी भी निर्धारित लक्ष्य का आधा हिस्सा भी पूरा नहीं हुआ है.

ओडिशा में धान की बुवाई को लेकर राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के आंकड़ों में कहा गया है कि सूबे में धान की खेती का रकबा केवल 2.89 लाख हेक्टेयर है। यह आंकड़ा 14 जुलाई तक का है। पिछले साल तक इस अवधि के दौरान 5.44 लाख हेक्टेयर में धान की खेती हो चुकी थी और साल 2021 में यह क्षेत्रफल 9.05 लाख हेक्टेयर था। वहीं साल 2022-23 के खरीफ सीजन के लिए जारी कृषि और खाद्य उत्पादन निदेशालय की फसल मौसम निरगानी समूह की रिपोर्ट के अनुसार 16 जुलाई तक 9.10 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में धान की खेती हुई थी।

सूबे में भरपूर बरसात न होने का असर दलहन और तिलहनी फसलों की बुवाई पर भी आया है। इस खरीफ सीजन में सूबे की पटनायक- सरकार ने 35 लाख हेक्टेयर में धान की खेती करने की लक्ष्य तय किया है।जुलाई के दूसरे सप्ताह के अंत तक राज्य में कुल 5.43 लाख हेक्टेयर में खरीफ फसल की खेती हुई है। पिछले साल इस अवधि में यह आंकड़ा 10.31 लाख हेक्टेयर था।

ओडिशा में इस साल दलहनी फसलों की खेती का भी रकबा घटा है। साल 2022 में दलहनी फसल का रकबा 95,100 हेक्टेयर था वहीं इस साल यह घटकर 31,900 हेक्टेयर हो गया है। इसी तरह तिलहन के रकबे में भी आधे से अधिक कमी आई है। पिछले साल तिलहनी फसल का रकबा 46,000 हेक्टेयर था जबकि इस साल यह 20,000 हेक्टेयर है।

ओडिशा में बरसात की से सरकार और किसान की परेशानी का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सूबे में 13 जिलों कम बारिश हुई है। सरकार इन जिलों के किसानों को मोटे अनाज सोने तक की सलाह दे चुकी है। लगातार यह दूसरा साल है जब ओडिशा में किसानों को बरसात की कमी का सामना करना पड़ा है।

कम वर्षा वाले तटीय किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए मौसम विभाग ने कहा है कि मध्यम जमीन पर 115-120 दिनों की किस्म और निचली जमीन पर 125-130 दिनों वाली धान की किस्म की बुवाई करें। मौसम विभाग की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य में इस साल एक जून से 20 जुलाई तक 355.6 एमएम बारिश हुई है। जो 15 प्रतिशत कम है। वहीं राज्य के लगभग 13 जिलों में 30 से 50 फीसदी कम बारिश दर्ज की गयी है।PHOTO CREDIT – google.com

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