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हिमाचल एपल',20 किग्रा यूनिवर्सल कार्टन लागू करने को लेकर अधिसूचना जारी

हिमाचल प्रदेश : नाराज़ सेब उत्पादक व बागवान 6 जुलाई को सड़कों पर उतरेंगे

हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक 6 जुलाई को सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। सेब उत्पादक संघ के आज शिमला में संपन्न अधिवेशन ने सेब उत्पादको ने यह निर्णय लिया। इस दिन सेब उत्पादक सभी ब्लाक में या तहसीलदार दफ्तर के बाहर 24 घंटे का धरना देंगे।

बड़ी संख्या में अधिवेशन में शामिल सेब उत्पादको ने प्रति पेटी 24 किलो सेब भरने की शर्त का विरोध किया। सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष सोहन ठाकुर ने दो टूक कहा कि कुल्लू में 24 किलो की पेटी का सेब उत्पादक को 20 किलो का पर्चा देकर रेट तय किया गया। यह सरासर ठगी है। इसी तरह से प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी सेब उत्पादकों के साथ ठगी हो रही है।

सेब की पैकिंग अन्तर्राष्ट्रीय मानक के हिसाब से यानी 20 किलो प्रति पेटी होनी है। उन्होंने बताया कि अधिवेशन में बागवानों ने टेलीस्कोपिक की जगह यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य करने की मांग की। ​​​​​​

अधिवेशन में बागवानों की 17 मांगों को लेकर चर्चा की गई। बीती 6 जून को किये गये प्रदर्शन के दौरान सेब उत्पादकों व आढ़तियों की मांगे नहीं मानी गई तो इसके बाद आंदोलन को और उग्र किया जाएगा। सोहन ठाकुर ने मांग दोहरायी कि बागवानों ने एपीएमसी एक्ट 2005, लीगल मेट्रोलॉजी एक्ट 2009 और पैसेंजर एंड गुड्स टैक्स एक्ट 1955 के सभी प्रावधानों को सख्ती से लागू करने की मांग की है।

अधिवेशन में एपीएमसी एक्ट, लीगल मैट्रौलॉजी एक्ट, हिमाचल प्रदेश पैसेंजर एंड गुड्स एक्ट को लागू करने, यूनिवर्सल कार्टन अनिवार्य करने, सेब की पैकेजिंग सामग्री को GST फ्री करने, ए ग्रेड सेब का न्यूनतम समर्थन मूल्य 80 रुपए, बी ग्रेड का 60 रुपए, सी ग्रेड का 30 रुपए तय करने, HPMC व व हिमफैड द्वारा बागवानों की बकाया पेमेंट का भुगतान करने, ओलावृष्टि व असामयिक बारिश बर्फबारी से फसलों को हुए नुकसान का मुआवजा देने की मांग की गई।

इसी तरह एपीएमसी के बैरियरों पर बागवानों से अवैध वसूली रोके जाने, सेब के स्प्रे ता के हिसाब से सब्सिडी वाली दवाईयां उपलब्ध कराने, स्प्रे मशीन, पावर टीलर, एंटी हेल नेट पर लंबित सब्सिडी का भुगतान करने, प्रत्येक ब्लॉक में पत्तियां व मिट्टी की जांच केन्द्र स्थापित करने, निजी कंपनियों के स्टोर में 25 प्रतिशत चैंबर बागवानों के लिए रिजर्व रखने, बागवानों के विभिन्न बैंक व संस्थाओं से लिए गए ऋण माफ करने, बागवानों की आढ़तियों के पास बकाया राशि का जल्द भुगतान करने तथा सेब पर आयात शुल्क 100 फीसदी करने को लेकर भी चर्चा की गई।

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