नाबार्ड का फोकस पेपर बताता है कि झारखंड के किसानों की औसत आय देश के 29 राज्यों में सबसे कम हैं। किसान प्रति माह प्रति परिवार 5854 रुपये की औसत आय पर निर्भर है। यदि उसकी आय को दोगुना करना है तो इस क्षेत्र में पूंजी को बढ़ाना होगा।
भारतीय किसानों की प्रति परिवार औसत मासिक आय 10,218 हजार रुपए है। देश में मेघालय 29 हजार रुपए के साथ सबसे ऊपर हैं। इसके बाद पंजाब (26.70 हजार रुपए मासिक प्रति परिवार) और हरियाणा (22.84 हजार रुपए मासिक प्रति परिवार) के किसान देश में आर्थिक तौर पर सर्वाधिक सक्षम हैं। इस सूची में सबसे नीचे झारखंड है। यहां के किसान परिवार 4,895 हजार रुपए औसत मासिक आय के साथ देश में सबसे बुरी स्थिति में हैं।
नाबार्ड ने कोल्ड स्टोरेज के ढांचे को दुरुस्त करने का सुझाव भी दिया गया है। बताया गया है कि राज्य की कुल भंडारण क्षमता 3.68 लाख टन है, जबकि राज्य में 2.17 लाख टन कोल्ड स्टोरेज का बुनियादी ढांचा है। इस क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहित करने की बात नाबार्ड की ओर से कही गई है। इसके अलावा प्री-कूलिंग, सफाई, ग्रेडिंग और परिवर्तनशील तापमान क्षमता की कोल्ड चेन विकसित करने पर भी स्टेट फोकस पेपर पर जोर दिया गया है। खाद्य प्रसंस्करण का जिक्र करते हुए बताया गया है कि राज्य में 35 लाख टन सब्जियों का उत्पादन होता है। इस क्षेत्र में फल एवं सब्जियों की अच्छी गुंजाइश है।
अपनी रिपोर्ट में नाबार्ड ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए दलहन, तिलहन और अन्य उच्च मूल्य वाली फसलों के लिए योजना बनाने पर जोर दिया है। नाबार्ड की रिपोर्ट राज्य में सिंचाई की वर्तमान स्थिति का भी खुलासा करती है। कुल 38 लाख कृषि योग्य भूमि में से अब तक राज्य ने महज 10 लाख हेक्टेयर पर सिंचाई क्षमता का सृजन किया है। जबकि शुद्ध सिंचित क्षेत्र मात्र 5.74 लाख हेक्टेयर है। नाबार्ड ने सिंचाई संसाधन बढ़ाने को बहुत जरूरी बताया है। सुझाव दिया है कि जल संसाधन विभाग माइक्रो-लिफ्ट सिस्टम जैसी पूंजी निवेश परियोजनाओं की रूपरेखा को आगे बढ़ा सकता है।